हरदोई सीट से यह लड़ सकते है समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन के तहत हरदोई लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में भी आते हैं। मिश्रिख सीट बसपा के खाते में गई है। सीटों के बंटवारे के औपचारिक एलान के बाद जिले में समाजवादी पार्टी की गतिविधियां तेज हो चलीं हैं। यही कारण रहा कि पिछले मार्च से भंग चल रही जिला इकाई के स्थान पर संचालन समिति की घोषणा भी मंगलवार को कर दी गई। सीटों के नामों को सार्वजनिक करने के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि ये गठबंधन प्रदेश और देश की राजनीति को तय करेगी।

  • समाजवादी पार्टी में लोकसभा टिकट के लिए अहम दावेदारी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा की है।
  • इसके अलावा पूर्व विधायक वीरेंद्र वर्मा भी दावेदार हैं।
  • फिलहाल ऊषा वर्मा की दावेदारी इस लिए मजबूत नजर आ रही है।
  • क्योंकि वह हरदोई संसदीय क्षेत्र से तीन बार सपा के टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं।
हरदोई से सपा व मिश्रिख से बसपा लड़ेगी चुनाव
  • बीएसपी के साथ गठबंधन सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है।
  • बल्कि गठबंधन का असर आप जमीन पर भी देखेंगे।
  • हरदोई से सपा व मिश्रिख से बसपा लड़ेगी चुनाव।
  • चुनावी इतिहास के लिहाज से हुआ दोनों सीटों का बंटवारा।
  • हरदोई में कभी नहीं जीती बसपा।
  • मिश्रिख सपा के लिए रही दूर की कौड़ी।
बहरहाल बसपा और सपा के बीच सीटों के एलान के बाद सपा खेमे में खुशी की लहर

हरदोई संसदीय क्षेत्र को लेकर असमंजस की स्थिति सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन के बाद से लगातार थी। इसका अहम कारण यह था कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में तत्कालीन सांसद ऊषा वर्मा भाजपा प्रत्याशी अंशुल वर्मा से न सिर्फ चुनाव हार गईं थीं, बल्कि तत्कालीन बसपा प्रत्याशी शिवप्रसाद वर्मा से भी 2600 वोट से पिछड़ गई थीं।  मतलब यह कि बसपा दूसरे नंबर पर थी और सपा तीसरे नंबर पर।

  • बहरहाल बसपा और सपा के बीच सीटों के एलान के बाद सपा खेमे में खुशी की लहर है।
  • समाजवादी पार्टी में लोकसभा टिकट के लिए अहम दावेदारी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा की है।
  • इसके अलावा पूर्व विधायक वीरेंद्र वर्मा भी दावेदार हैं।
  • फिलहाल ऊषा वर्मा की दावेदारी इस लिए मजबूत नजर आ रही है।
  • क्योंकि वह हरदोई संसदीय क्षेत्र से तीन बार सपा के टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं।
  • इतना ही नहीं उनकी गिनती मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के करीबी लोगों में होती है।
हरदोई संसदीय क्षेत्र से सपा प्रत्याशी तीन बार जीत चुकी है लोकसभा की सीट

हर लोकसभा चुनाव में बसपा ने महावत भी बदला,  लेकिन दौड़ के बावजूद हाथी कभी दिल्ली तक नहीं पहुंच सका। यही कारण रहा कि गत लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद सीट बसपा के कोटे में नहीं आई। हरदोई संसदीय क्षेत्र से सपा प्रत्याशी तीन बार लोकसभा तक पहुंच चुका है। वही हरदोई संसदीय क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी अब तक किसी भी लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं पा सकी है। साल 1998, 2004 व 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में ऊषा वर्मा सांसद चुनी जा चुकी हैं। इतना ही नहीं साल 1989 के लोकसभा चुनाव में ऊषा वर्मा के ससुर परमाई लाल तत्कालीन जनता दल के टिकट पर सांसद चुने गए थे।

  • मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र बसपा के लिए मुफीद रहा है।
  • साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बसपा प्रत्याशी के रूप में अशोक रावत सांसद चुने जा चुके हैं।
  • फिलहाल अशोक रावत भाजपा में हैं।
  • उनके चाचा रामपाल वर्मा बालामऊ से व चचेरे भाई प्रभाष कुमार सांडी से भाजपा विधायक हैं।
  • बसपा ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पीएस सत्यार्थी की पत्नी नीलू सत्यार्थी को प्रत्याशी घोषित किया है।
  • नीलू सत्यार्थी साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बालामऊ विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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