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जिस लखनऊ महोत्सव में पिछली बार तत्कालीन जिला अधिकारी राज शेखर ने मौत का कुंआ लगने की इजाजत नहीं दी थी। इस बार उसी महोत्सव में मौत के इंतजाम भी किये गए हैं। बताया जा रहा है शासन ने इसकी लिखित तौर पर परमीशन नहीं दी है लेकिन आयोजक अधिकारियों से की मिलीभगत से बिना परमीशन के मौत का कुंआ लगवाया जा रहा है। इतना ही नहीं इस कुएं में तमाशे के लिए खटारा बाइक और कार भी आईं हैं।

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जिम्मेदारों के नहीं उठ रहे फोन

Well of Death in lucknow mahotsav

  • मौत के कुंए को लेकर जब जिम्मेदार अधिकारियों में जिलाधिकारी सतेंद्र सिंह को फोन किया गया तो 3 बार में भी उनका फोन नहीं उठा।
  • जब इस सम्बन्ध में लखनऊ महोत्सव की जिम्मेदारी देख रहीं एडीएम पूर्वी निधि श्रीवास्तव के पास 7 बार फोन किया गया उनका फोन नहीं उठा।
  • इतना ही नहीं उनके लैंडलाइन नंबर पर भी फोन किया गया वह भी दो बार नहीं रिसीव हुआ।
  • अब सवाल उठता है कि अगर किसी आपातकाल स्थिति में कोई मदद के लिए इन लापरवाह अधिकारियों के पास फोन करे तो इनका तो फोन नहीं उठेगा ऐसे में लोग किससे मदद मांगेंगे?

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पर्यटन विभाग की वेबसाईट पर दिए नम्बर भी शो-पीश

  • वैसे तो उत्तर प्रदेश सरकार तमाम माध्यमों से यूपी टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए खूब प्रचार कर रही है।
  • लेकिन पर्यटन विभाग की हकीकत यह है कि अगर कोई जानकारी लेने के लिए पर्यटन विभाग की वेबसाईट पर दिए नंबरों पर संपर्क करे तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी।
  • कारण यह है कियहां दिए गए नंबर पर कभी कॉल रिसीव नहीं होती है।
  • इतना ही नहीं इस साईट पर लखनऊ महोत्सव की कोई भी जानकारी करने के लिए दिए गए संपर्क नंबर 0522-2304870 पर फोन नहीं उठता जबकि 9415940070, 9935086182 दोनों नंबर बंद रहते हैं।

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पिछले साल यह थे नियम

  • पिछले साल तत्कालीन जिलाधिकारी राजशेखर ने बताया था कि महोत्सव में मौत का कुंआ, आग लगाकर कूदना, जीप, मोटर साइकिल, आग आदि का खेल वर्जित है।
  • अब सवाल उठता है कि यह मौत का कुंआ किसकी परमीशन से लगाया जा रहा है।
  • शायद इसमें अधिकारियों और आयोजकों का खेल हो इसी वजह से वह जानकारी देने से कन्नी काट रहे हैं।

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