राजधानी लखनऊ स्थित सरकारी भवनों पर नगर निगम का करोड़ों रुपए का हाउस टैक्स बकाया है। पूर्ण बहुमत के बाद भी सरकार गठन में हो रही देरी नगर निगम पर भारी पड़ रहा है। जिसके चलते सरकारी भवनों पर 50 करोड़ से अधिक के टैक्स बकाए का भुगतान अटका हुआ है।

किस पर कितना है बकाया

नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय भवन पर 35 करोड़ से ज्यादा का हाउस टैक्स बकाया है। यही हाल राज्य परिवहन विभाग का भी है, जिस पर 4.5 करोड़ रुपये की देनदारी बाकी है। इसके अलावा सहकारिता भवन पर 5 करोड़, शिक्षा भवन पर 90 लाख, समाज कल्याण भवन पर 63 लाख और लखनऊ विकास प्राधिकरण पर 8 करोड़ रुपए की देनदारी है।

बकायेदारों पर शिकंजा कसने की तैयारी में निगम

नगर निगम के लिए हाउस टैक्स ही एक मात्र आय का स्त्रोत है। टैक्स से मिलने वाली राशि के जरिए ही निगम कर्मचारियों को वेतन मिलता है। शासन की ओर से टैक्स वसूली के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष समाप्ति होने में कुछ ही दिन का समय है। ऐसे में अपनी स्थिति मजबूर करने के लिए गृहकर बकाएदारों पर शिकंजा कसने की तैयारी निगम ने की है।

सरकार गठन में हो रही देरी से रुकी वसूली

नगर निगम जोन-1 के जोनल अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने uttarpradesh.org को बताया कि जोन– 1 में सबसे ज्यादा सरकारी इमारतें हैं। इनमें विधानसभा, सचिवालय से लेकर विधायक निवास तक शामिल है। जिसका हाउस टैक्स नगर निगम को नहीं मिला है। सरकार गठन में हो रही देरी के चलते प्रशासनिक अधिकारी भुगतान नई कर पा रहे हैं। सरकार गठन के बाद वसूली प्रक्रिया में और तेजी लाई जाएगी।   

टैक्‍स के दायरे में हैं 5 लाख मकान

पूरे शहर में हाउस टैक्स के दायरे में 5 लाख 3 हजार 996 मकान आते हैं। इनमें करीब 15 प्रतिशत ऐसे मकान हैं जिनका असेसमेंट होना अभी बाकी है। नगर निगम हाउस टैक्स को ज्यादा से ज्यादा कलेक्ट करने के लिए अब एक सॉफ्टवेयर भी विकसित कर रहा है। इससे कहीं से भी हाउस टैक्स जमा किया जा सकेगा।

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