नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ ने आज वेतन न बांटे जाने के विरोध में जोन चार की बंदी (protest) के बाद कहा कि नगर निगम में वर्तमान समय में उल्टी गंगा बह रही है। नगर निगम में अधिकारी संवर्ग तो वेतन समय पर प्राप्त कर ले रहा है जबकि कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े है।

  • कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों की हालत तो और भी बुरी है, उन्हें तीन तीन माह से वेतन नही मिला है।
  • समय पर वेतन न वितरण होने, नगर निगम प्रशासन और नगर विकास विभाग के कर्मचारी विरोधी रवैये से नगर निगम कर्मचारियों में आक्रोष फैल रहा है।
  • संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा और महामंत्री रामअचल ने इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ‘योगी’ से हस्तक्षेप कर वेतन वितरण मामले की सम्पूर्ण समीक्षा कर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के दायित्व निर्धारण की मांग की है।

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तालाबंदी कर जाहिर की अपनी नाराजगी

  • नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ की तरफ से जारी बयान में आज कहा गया कि निगम द्वारा अब तक उद्यान विभाग, म्यूनिसिपिल नर्सरी स्कूल, कर विभाग जोन चार, अमीनाबाद इन्टर कालेज, कश्मीरी मोहल्ला माडल माण्टेसरी स्कूल, प्रवर्तन जोन -5 के नियमित कर्मचारियों, पेंशनरों, संविदा एवं कार्यदायी संस्था के कर्मचारी अब तक वेतन से वंचित है।
  • दूसरी तरफ अंग्रेजी शाशन का अनुसरण करते हुए निगम प्रशासन ने निगम के अफसरों का वेतन समय पर ही जारी कर दिया।
  • यही कारण था कि आक्रोषित नगर निगम कर्मिकों ने पहले जोन तीन और आज 19 जून को जोन चार में तालाबंदी कर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

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लम्बे अरसे से चली आ रही अनियमिता

  • उन्होंने सरकार से वेतन वितरण मामले को गम्भीरता से लेने का आग्रह करते हुए शासन से मांग कि है।
  • अगर समय रहते शासन ने इस मामले हस्तक्षेप नहीं किया तो नगर निगम में किसी भी समय तालाबंदी हो सकती है।
  • उन्होंने कहा कि नगर निगम लखनऊ में वेतन वितरण की अनियमिता लम्बे अरसे से चली आ रही है।
  • इससे न तो नगर निगम प्रशासन अन्जान है, ना ही शासन और राज्य सरकार।
  • इसके बावजूद इस तरह की स्थिति बना रहना एक स्वच्छ सरकार के काम काज पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।

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हर माह ताला बंदी की चेतावनी

  • उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि काफी समय पहले राज्य वित्त आयोग से नगर निगम लखनऊ को मिलने वाले 24 करोड़ रूपये में से 9 करोड़ की कटौती के कारणों की जांच कराते हुए।
  • इस बात की समीक्षा की जानी चाहिए कि कटौती क्यो कि गई जबकि राजधानी में नगर निगम का दायरा बढ़ाने के साथ जिम्मेदारी और काम में भी विस्तार किया गया है।
  • उन्होंने सरकार से यह भी कहा है कि जब तक राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली 24 करोड़ की धनराशि नगर निगम को नहीं दी जाती।
  • नगर निगम में वेतन वितरण की ऐसी परिस्थिति विद्यमान रहेगी और हर माह इस तरह की बंदी और विरोध के चलते काम काज प्रभावित (protest) होता रहेगा।

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