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आरआरटीसी की ट्रेनिंग से सुदृढ़ हुईं स्वास्थ्य सेवाएं, मेंटरिंग से डॉक्टरों का बढ़ा हौसला

RRTC's training strengthens health services, increased doctors' encouragement from mentoring

RRTC's training strengthens health services, increased doctors' encouragement from mentoring

आरआरटीसी की ट्रेनिंग से सुदृढ़ हुईं स्वास्थ्य सेवाएं, मेंटरिंग से डॉक्टरों का बढ़ा हौसला

लखनऊ। रीजनल रिसोर्स ट्रेनिंग सेंटर (आरआरटीसी) द्वारा चिकित्सकों की ट्रेनिंग और कार्यस्थल पर मेंटरिंग से प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में आमूलचूल परिवर्तन आया है। इस सेंटर से पहले चरण में जुड़े चार मेडिकल कालेजों की पिछले एक साल की उपलब्धियों और दूसरे चरण में नए जुड़े चार मेडिकल कालेजों के ओरिएंटेशन और प्लानिंग को लेकर शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य निदेशालय के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई के सहयोग से यहाँ एक होटल में कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इस अभिनव प्रयास के लिए वे सभी मेडिकल कालेज फैकिलिटी और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई को धन्यवाद देते हैं।

मेडिकल कालेज के डाक्टरों द्वारा जिले के अस्पतालों के डाक्टरों की मेंटरिंग

उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष्य में मेडिकल कालेज और स्वास्थ्य विभाग का सम्मिलित रूप से किया गया ये सबसे सफल और बेहतर प्रयास है और हम इसमें हर तरह के सहयोग के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर यूपी टीएसयू के अधिशाषी  निदेशक डॉ. वसंत कुमार ने कहा कि पूरे भारत वर्ष में मेडिकल कालेज के डाक्टरों द्वारा जिले के अस्पतालों के डाक्टरों की मेंटरिंग का यह पहला उदाहरण है और हम इस मुहिम में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि तमाम व्यस्तताओं के बाद भी मेडिकल कालेज के चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे इस सहयोग के लिए वह उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई की सीनियर टीम लीडर एफआरयू स्ट्रेंथनिंग डॉ. सीमा टंडन ने पिछले एक साल की आरआरटीसी की यात्रा पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।

50 रेफरल यूनिट्स के चिकित्सकों को दी जा रही ट्रेनिंग

उन्होंने बताया कि पहले चरण में प्रदेश के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय- लखनऊ, जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कालेज- अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मोतीलाल नेहरु मेडिकल कालेज-प्रयागराज और बाबा राघव दस मेडिकल कालेज- गोरखपुर के सहयोग से प्रदेश के 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (एचपीडी) के 50 रेफरल यूनिट्स के चिकित्सकों को दी जा रही। इस ट्रेनिंग का लाभ करीब 220 चिकित्सक उठा चुके हैं। जिहोने 280 चिकित्सकों की मेंटरिंग की है। इसके अलावा 161 मेंटरिंग विजिट की जा चुकी है। दूसरे चरण की शुरुआत अक्टूबर 2018 से हो चुकी है। जिनमें गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज-कानपुर, सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज-आगरा, बीएचयू-वाराणसी और उत्तर प्रदेश मेडिकल साइंस युनिवर्सिटी, सैफई-इटावा को जोड़ा गया है।

विशेषज्ञों ने मातृ, नवजात व शिशु स्वास्थ्य से जुड़ीं हर बात को बारीकी से समझाया

आरआरटीसी के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय इस आवासीय ट्रेनिंग के दौरान विषय विशेषज्ञों द्वारा मातृ, नवजात व शिशु स्वास्थ्य से जुड़ीं हर बारीकी को बताया जाता है और उसका अभ्यास भी कराया जाता है। यही नहीं ट्रेनिंग के बाद हर तीसरे महीने वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम कार्यस्थल पर पहुंचकर उनके कार्यों का आंकलन करती है और जहाँ पर भी कमी नजर आती है। उसके बारे में फिर से विस्तार से बताती भी है। इस तरह की ट्रेनिंग और अभ्यास से आये बड़े बदलाव को देखते हुए इसके दूसरे चरण की शुरुआत की गयी है।

सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का बढ़ा भरोसा

डॉ. सीमा टंडन ने कहा कि इस ट्रेनिंग के दौरान डमी के द्वारा इस तरह का अभ्यास कराया जाता है कि इमरजेंसी में किसी केस के आने के बाद किस तत्परता के साथ क्या-क्या कदम उठाने पड़ते हैं। उन सभी के बारे में विस्तार के साथ समझाया जाता है। इस अभ्यास से चिकित्सकों की गुणवत्ता में भरपूर सुधार भी नजर आया है। जिसके चलते सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है।  जिसको रोकना हम सभी का कर्तव्य है। महिलाओं का जीवन बचाने के लिए इस तरह की ट्रेनिंग और अभ्यास बहुत ही जरुरी हैं। इसके लिए फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) और कॉम्प्रेहेंसिव इमरजेंसी आवस्ट्रेस्टिक एंड न्यू बार्न केयर (CEMONC) सेवाओं को और मजबूत बनाने की जरुरत है।

गर्भवती के हीमोग्लोबीन में सुधार लाने के लिए आयरन शुक्रोज चढाने की हुई शुरुआत

इसी कड़ी में गर्भवती के हीमोग्लोबीन में सुधार लाने के लिए आयरन शुक्रोज चढाने की शुरुआत की गयी है। इससे उन महिलाओं को बचाने में सफलता मिली है जो की सीवियर एनीमिक की श्रेणी में आ चुकी होती हैं। यह सुविधा 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में मुहैया करायी जा रही है और इसके कोई दुष्प्रभाव भी देखने को नहीं मिले हैं। कार्यक्रम में एनएचएम की महा प्रबंधक मातृ स्वास्थ्य डॉ. स्वप्ना दास, यूपी टीएसयू के प्रोग्राम डायरेक्टर जान एंथोनी, वरिष्ठ तकनीकी सलाह्कार आईहैट डॉ. रेनोल्ड के अलावा आरआरटीसी से जुड़े सभी आठ मेडिकल कालेजों के नोडल अधिकारियों और चिकित्सकों ने भी भाग लिया।

रिपोर्ट:- संजीत सिंह सनी

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