इस्लाम धर्म दुनिया में करीब 1400 सालों से है, समय के साथ इस्लाम धर्म ने भी अपनी कई कमियों का नवीनीकरण किया, उनमें जरुरी बदलाव किये। लेकिन इस्लाम की कुछ कुरीतियों को धर्म आज तक बदल नहीं पाया है। वो कुरीतियाँ वैसे ही आज भी समाज में मौजूद हैं, जो करीब 1400 साल पहले मौजूद थीं। इस्लाम धर्म की इन्हीं कुरीतियों में से एक कुरीति है, ट्रिपल तलाक या तीन तलाक और हलाला। हालाँकि, ट्रिपल तलाक को कई इस्लामिक देशों में बैन किया जा चुका है लेकिन, भारत में अब भी इस कुरीति को ज्यों का त्यों खींचा जा रहा है।

कुरान में ‘हलाला’ का कोई जिक्र नहीं:

  • इस्लाम धर्म के अनुयायियों में ट्रिपल तलाक के बाद हलाला के मुद्दे को लेकर अलग-अलग राय पाई जाती है, कुछ लोगों का मानना है कि, हलाला गलत है और कई मानते हैं कि, उनके धर्म में बताया गया है इसलिए गलत होने का सवाल ही नहीं है।हो सकता है कि, इस्लाम में हलाला का नियम सकारात्मकता लाने के लिए बनाया गया हो और 1400 साल पहले यह काम भी करता हो, लेकिन मौजूदा समय में ट्रिपल तलाक और हलाला जैसी रीतियाँ/कुरीतियाँ मुस्लिम समाज की महिलाओं के लिए जीते जी नरक के द्वार खोल देती हैं।
  • ट्रिपल तलाक के नाम पर पति अपनी पत्नियों को छोटी-छोटी बातों पर तलाक दे देते हैं। उसके बाद बेसहारा औरत समाज और कानून से न्याय मांगती है, कानून उसे अपने धर्म के हिसाब से मामला सुलझाने को कहता है। धर्म के नाम पर मौलवी ‘हलाला’ की बात करते हैं।

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पढ़ें एक ट्रिपल तलाक पीड़िता की आपबीती:

  • शबाना (बदला हुआ नाम) का निकाह बहराइच के रहने वाले एक युवक सलमान से हुआ था। गौरतलब है कि, दोनों ने लव मैरिज की थी।
  • शादी के कुछ दिनों बाद ही पीड़िता के ससुराल वालों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। पीड़िता के अनुसार, चूँकि उसने और सलमान ने अपनी मर्जी से शादी की थी, इसलिए ससुराल वालों ने पीड़िता को दहेज़ के लिए परेशान करना शुरू कर दिया।
  • मामले में यह बात गौर करने वाली है कि, शबाना और सलमान ने पहले कोर्ट मैरिज और फिर इस्लाम के अनुसार निकाह किया था। लेकिन जब सलमान ने शबाना को तलाक दिया तो उसके बाद पीड़िता को कानून की मदद न देकर उसे मामले को अपने धर्म के अनुसार सुलझाने की बात सुनने को मिली। जिसके बाद धर्म के नाम पर मौलाना ने पीड़िता से हलाला कराने की बात कही।
  • अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि, जब पीड़िता और उसके पति ने निकाह के साथ कोर्ट मैरिज भी की थी, तो मामले में सिर्फ धर्म के आधार पर हुए तलाक को मान्यता क्यों दी गयी?
  • इतना ही नहीं पीड़िता को हलाला के समयावधि पूरी होने के बावजूद भी उसके ससुराल वालों और पति द्वारा अपनाया नहीं गया।

22 इस्लामिक देशों में बैन हो चुका है ट्रिपल तलाक:

  • ऐसा नहीं है कि, हर इस्लामी देश में ट्रिपल तलाक कानून कि व्यवस्था अभी भी जारी है। 22 इस्लामिक देशों में इस कानून को बैन कर दिया गया है।
  • लेकिन भारत में अब भी ट्रिपल तलाक को धर्म का निजी मामला बताकर रबर की तरह खींचा जा रहा है।
  • वहीँ देश में मौजूदा कुछ मौलाना इस्लाम और ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर हलाला की आड़ में यौन-शोषण, बलात्कार जैसी वीभत्स घटनाओं को अंजाम देते हैं।
  • धर्म के नाम पर चल रहे इन ‘हलाला सेंटर्स’ और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट को तत्काल प्रभाव से फैसला लेते हुए इस कानून को खत्म कर देश की मुस्लिम महिलाओं की ज़िन्दगी को बर्बाद होने से रोकना होगा।
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