प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ग्राम उदय से भारत उदय अभियान का शुभारम्भ किया है। जिसका लक्ष्य गांवो की नींव मजबूत करके देश को विकास पथ पर आगे बढ़ाने का है। हमारे देश में अक्सर यह समझा जाता है कि सुविधाओं के अभाव में गांव के लोगों को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है और इस वहज से कई लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं।

लेकिन जौनपुर जिले के ‘माधोपट्टी गांव’ ने एक मिसाल पेश की है। इस गांव में सिर्फ 75 घर हैं, और गांव ने 47 आईएएस अधिकारियों को जन्म दिया है। यह बात आश्चर्यजनक हो सकती है कि 75 घर वाले गांव से 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की सेवा कर रहें हैं। भारत के इस छोटे से गांव ने देश को इतने आईएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी दिये हैं, जितने दिल्ली या कोलकाता जैसे बड़े महानगरों ने नही दिया। इसके अतिरिक्त गांव के होनहार भाभा और इसरो जैसे अति प्रतिष्ठित संस्थानों में भी कार्य कर रहें हैं।

1952 में आईएएस परीक्षा में देश की दूसरी रैंक हासिल करने वाले इन्दु प्रकाश सिंह से गांव के युवा काफी प्रभावित हैं। गांव के युवक इन्दु प्रकाश को अपना आदर्श मानते हैं, और उन्हीं के नक्शे कदम पर आईएएस बनकर देश की सेवा करने का जज्बा रखते हैं। इन्दू प्रकाश विश्व के कई देशों में भारतीय राजदूत रह चुकें हैं।

गांव के लोगों ने साबित कर दिया है कि अपने कठिन परिश्रम, लगन और अटूट इच्छा शक्ति के बल पर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। माधोपट्टी के लोगों ने गांव के इतिहास की एक नई इबारत लिख दी है। और इस छोटे से गांव को देश-विदेश में पहचान दिलाई है।

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