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प्रदेश में ही नहीं भाजपा के गढ़ में भी चुनौती पेश करेगा महागठबंधन

Major alliance will not only challenge in the state but also BJP's stronghold

Major alliance will not only challenge in the state but also BJP's stronghold

प्रदेश में ही नहीं भाजपा के गढ़ में भी चुनौती पेश करेगा महागठबंधन

देश में नए साल के आगाज़ के साथ ही चुनावी सरगर्मी शुरू हो चुकी है।राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की हार के बाद कॉंग्रेस एवं अन्य राजनीतिक दल बीजेपी के एकतरफा माने जा रहे जीत के रथ को रोकने का अपना ख़्वाब मजबूत करने की जुग्गत में जुटे हैं। वहीं बीजेपी विधान सभा चुनावों के आंकड़ों को लोकसभा चुनावों के आंकड़ों से अलग बताते हुए केंद्र में एक बार फिर से मोदी सरकार आने का दावा करती है।आगामी लोकसभा 2019 लोकसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों का मोदी के विजयरथ को रोकने का एकमात्र एजेण्डा सामने है। 2014 लोकसभा आम चुनावों में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।जिसमें 80 में से 73 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की।लेकिन इस बार 2019 में मोदी को बड़ी चुनौती देने के लिए सपा और बसपा के साथ रालोद भी उत्तर प्रदेश में एक साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।ऐसे में कम से कम उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए जीत की राह बेहद मुश्किल नज़र आ रही है।

सपा बसपा रालोद का मजबूत गठबंधन

भाजपा को रोकने के लिए सपा और बसपा के साथ- साथ रालोद भी गठबंधन में शामिल हो गए है। जिसके बाद अब समीकरण भाजपा के लिए चिंता की लकीर खींच रही है। ऐसे में आगरा उत्तर प्रदेश की दो महत्वपूर्ण सीट आगरा शहर और फतेहपुर सीकरी की बात की जाएं। तो अब तक इन दोनो ही सीटों पर भाजपा के सांसद है और आगरा को हमेशा ही भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। जिसका कारण यह कि 9 विधानसभा सीट पर भाजपा के ही विधायक है और नगर निगम में भी हमेशा ही भाजपा का परचम रहा है। लेकिन अब इस गठबंधन के बाद भाजपा के लिए इन दलित बाहुल्य लोकसभा सीटों पर जीत आसान नही होगी आगरा शहर (सुरक्षित ) – यहां आगरा शहर लोकसभा सीट पर बात की जाए तो यह।

जानिए क्या होगा इस बार मतदाताओं का रुख

मतदाताओं का रुख – इस गठबंधन के बाद भले ही राजनीतिक दल अपने ढपली अपने राग गायें लेकिन हकीकत में मतदाताओं के मन में आज भी प्रधानमंत्री मोदी ही पहली पसंद है वो बात अपंग है कि वो खुद भी इस बार मोदी की जीत को चुनौतीपूर्ण मानते है ।जब हमने इस बारे में एक कंसल्टेंट गर्वित से बात की तो उन्होंने गठबंधन को बीजेपी के लिए चुनौती बताया और सरकार को युवाओं के प्रति गम्भीर न बताते हुए भी प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को देखने की बात कही। प्रदीप गुप्ता ने गठबंधन के वोटबैंक को देखते हुये शहर की दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत को मुश्किल कहा लेकिन अभी भी चुनाव होने से पहले बीजेपी द्वारा किसी अहम घोषणा के होने पर गेंद बीजेपी के पाले में जाने की आशंका जतायी।
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