केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार जल संचयन के प्रति गंभीर है।  लेकिन वही दूसरी ओर मनरेगा योजना में जल संचयन के नाम पर घोटाला हो रहा है। मनरेगा के नाम पर हर साल 100 करोड़ खर्च हो रहे हैं लेकिन हकीकत में काम इतना नहीं हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी किसी गांव में कोई विकास नहीं दिखायी दे रहा है।

10  जिलों में खर्च हुए 1079 करोड़ रुपये

  • मनरेगा योजनाओं मे भारी अनियमतता की शिकायत लगातार जारी हैं।
  • मनरेगा के नाम पर हर साल 100 करोड़ खर्च हो रहे हैं
  • लेकिन यदि हकीकत पर नज़र डालें तो आपको सच्ची का पता चलेगा।
  • रकम चाहे जितनी भी खर्च हो रही है लेकिन काम की रफ़्तार काफी धीमी है।
  • काम इतना नहीं हो रहा है जितनी  की इसको लेकर बातें हो रही हैं
  • मनरेगा योजनाओं के तहत चल रहे कार्यो की जांच भी समय समय पर की जा रही है।
  • ऐसा इसीलिए किया जा रहा है की किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो।
  • इसके लिए सभी पंचायतों में अलग-अलग टीम गठित कर जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
  • जानकारीों के मुताबिक अब तक मनरेगा का 10 जिलों में काम हो रहा है।
  • ऐसे में इन 10 जिलों में काम पर करीब  1079 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
  • जो की किसी भी लिहाज से काम नहीं कहे जा सकते हैं।
  • बावजूद इसके उस हिसाब का किसी भी जिले में दिखाई नहीं दे रहा है।
  • एहि वजह है की मनरेगा की जांच के लिए उपायुक्त ने सभी ब्लॉकों को निर्देश दिए हैं।
  • मनरेगा योजनाओं मे भारी अनियमतता की शिकायत मिलने के बाद हे  उपायुक्त ने इस तरह  निर्देश जारी किये हैं।
  • मनरेगा के अंतर्गत जहाँ तालाबों में जल का बचाव करना था वही तालाब सूखे नजर आ रहे हैं।

 

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