मैनुएल थेरेपी फाउण्डेशन आॅफ इंडिया एवं एक्स्ट्रा केयर फिजियोथेरेपी प्रा.लि. लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में नौ दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स इन मैनुएल थेरेपी की कार्यशाला उप्र में पहली बार दो भागों में आयोजित हुआ। इसका पहला चरण 14 से 18 दिसम्बर तक आयोजित हुआ था तथा दूसरा चरण 19 जनवरी से 22 जनवरी तक चलेगा।

विभिन्न जगहों से आए फिजियोथेरेपिस्टों ने लिया भाग

  • नौ दिन तक चलने वाली कार्यशाल में विभिन्न जगहों से आए फिजियोथेरेपिस्टों ने हिस्सा लिया।
  • इनमें डाॅ. नीरज पटना से, डाॅ. मनोज कुमार जोधपुर, डाॅ. अंजनी तिवारी कानपुर, डाॅ. संदीप तिवारी,
  • तथा डाॅ. पुष्पेन्द्र कुमार सचान आगरा साथ ही साथ शहर के डाॅ. योगेश मद्धान, डाॅ. सुदीप सक्सेना,
  • डाॅ. पवन तिवारी, डाॅ. विवेक गुप्ता, डाॅ. सुरेन्द्र गौतम ने भी हिस्सा लिया।
  • कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आकांक्षा उपाध्याय ने किया तथा मुख्य रूप से एशिया के पहले मैनुएल थेरेपी में मास्टर कर चुके डाॅ. उमा संकर मोहन्ती ने सभी उपस्थित फिजियोथेरेपिस्टों को सम्पूर्ण शरीर के लिए मैनुएल थेरेपी तकनीकों की जानकारी प्रदान की गई।
  • उन्होंने गर्दन, कमर के दर्द की सम्पूर्ण जांच कारण निवारण को ‘हिलिंग थ्रू हैण्ड’ के माध्यम से सिखाया।
  • डाॅ. मोहन्ती ने फिजियोथेरेपी की इस नई विधा पर फिजियोथेरेपिस्टों की बढ़ती रूचि तथा लगन को देखते हुए,
  • इस ड्रग फ्री थेरेपी के उज्जवल भविष्य हेतु और भी जागरूकता कि आवश्यकता है को बताया साथ ही साथ उन्होंने चेहरे के टी.एम. ज्वाइंट से लेकर पैर के दर्द, तक के लिए समस्त उपयोगी तकनीकों को कार्यक्रम के दूसरे भाग में सिखाएगें।

मांसपेशियों कीे कमजोरी या कसने की बजह से होता है दर्द

  • कार्यशाला में उन्होंने बताया कि कमर का दर्द कई बार विभिन्न मांसपेशियों कीे कमजोरी या उनकी कसने की वजह से भी हो सकता है।
  • सदैव कमर का दर्द नस के दबने या डिस्क की वजह से ही नहीं होता है।
  • इस तरह की मांसपेशियों की कमजोरी या कसने में विपरीत हिस्सों की मांसपेशियां कमजोर तथा दूसरी तरफ की कस जाने से दर्द उत्पन्न हो जाता है। इसे ‘लोअर क्रास सिन्ड्रोम’ कहते है।
  • इस तरह की समस्या में पेट तथा कुल्हे की मांसपेशियों कमजोर तथा पीठ की तथा जांघो की मांसपेशियां कसने से पीठ या कमर का दर्द उत्पन्न हो जाता है।
  • जो कि तब तक पूरी तरह समाप्त नहीं होता है। जब तक कि शारीरिक तौर पर उत्पन्न इस असंतुलन की स्थिति को दूर न कर दिया जाए। दवा से यह सिर्फ उसके उपयोग तक ही असर करता है।
  • फिर दर्द वापस आ जाता है। फिजियोथेरेपी की मैनुएल थेरेपी तकनीको द्वारा इसे पूर्णतया ठीक किया जा सकता है।
  • आजकल इस तरह की समस्या आम हो गई है जिसको नजर अंदाज करना भविष्य में घातक परिणाम भी ला सकता है।

यह दर्द दावा से भी नहीं होता कम

  • इसी क्रम में मैनुएल थेरेपी की कार्य शाला कर चुके डाॅ. संतोष कुमार उपाध्याय ने भी बताया कि कई बार कमर से पैर तक जाने वाला दर्द जो दवा से भी कम नहीं होता है।
  • वह डिस्क का स्लिप होना न होकर पेरीफार्मिस मांसपेशी जो कि कुल्हे के ऊपर से जाती है जब कस जाती है तो नीचे से जा रही सायटिक नर्व/नस पर दबाव बना लेती है।
  • इससे की काफी तेज दर्द का अनुभव पैरों तक होने लगता है।
  • एमआरआई /एक्सरे में भी यह पकड़ में नहीं आता है। सिर्फ शारीरिक जांच करने से पता चलता है।
  • मैनुएल थेरेपी की एम.ई.टी. तकनीक द्वारा इसे तीन-चार दिन में काफी हद तक कन्ट्रोल किया जा सकता है।
  • पुरूषों में यह समस्या ज्यादातर देर तक बैठना जो कि पर्स रखने से दबाव मांसपेशी पर पैदा करता है से भी हो जाता है।

कई उपाय भी सिखाये जायेंगे

  • डाॅ. आकांक्षा उपाध्याय ने बताया कि सी.एम.टी. कोर्स के दूसरे भाग में डाॅ. मोहन्ती विभिन्न जोड़ो में होने वाली परेशानी चाहे वह टी.एम. ज्वाइन्ट हो, कंधा, कोहनी,
  • कलाई, कुल्हा, घुटना तथा एडी आदि की जांच कारण तथा मैनुएल तकनीकों द्वारा निवारण के बारे में बताएगें साथ ही साथ नसों से होने वाले दर्द की जांच तथा न्यूरल टिश्यू मोबिलाइजेशन के भी तरीके सिखाएगें।
  • हम कामना करते हैं कि भविष्य में भी इस तरह के कोर्सेज का लाभ फिजियोथेरेपिस्ट ले सकेंगे और इसकी गुणवत्ता का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहुंचा पाएगें।
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