फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उपचुनावों में भाजपा को पटखनी देने के बाद से समाजवादी पार्टी काफी जोश में आ गयी है। अब सपा को भी लगने लगा है कि 2019 में मिलकर मोदी लहर को रोका जा सकता है। यही कारण है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों में ध्यान दे रहे हैं। नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनने के लिए समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेताओं ने आवेदन किया है मगर अभी तक किसी के नाम पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है।

कई लोगों ने किया है आवेदन :

उत्तर प्रदेश की नूरपुर विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव के लिए सभी बिरादरियों से कई दावेदारों ने आवेदन किया है। यही कारण है कि सपा हाईकमान अभी तक अपने प्रत्याशी पर आखिरी फैसला नहीं ले पाया है। उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नूरपुर विधानसभा सीट पिछले 2 चुनावों से भाजपा का गढ़ बना हुआ है। यहाँ से पिछले 2 बार से भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान ने जीत दर्ज की है।

ऐसे में इस सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सपा प्रत्याशी का चयन आसान नहीं है। हालाँकि सपा से 2017 में सपा प्रत्याशी रहे नईमुलहसन, नूरपुर के पूर्व चेयरमैन इरशाद अंसारी, जिलाध्यक्ष अनिल यादव, कुंतेश सैनी, एक पूर्व मंत्री सहित कई ने दावेदारी की है। इसके अलावा बाहरी दलों के कई अन्य दलों के नेता अंदरखाने अपनी दावेदारी सपा हाईकमान से कर रहे हैं। हालांकि सपा हाईकमान ने अभी प्रत्याशी ने नाम पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

 

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मुस्लिम नेता को मिल सकता है टिकट :

नूरपुर विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों को देखें तो यहाँ पर करीब 3 लाख मतदाताओं में 1.30 लाख मुस्लिम मतदाता है। ऐसे में यहाँ से सपा के पिछले चुनाव में प्रत्याशी रहे नईमुलहसन या पूर्व चेयरमैन इरशाद अंसारी की दावेदारी पक्की मानी जा रही है। हालाँकि सपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस सीट पर हिंदू कार्ड खेलकर भी सपा जीत सकती है। वहीँ ओबीसी प्रत्याशी को टिकट देने से भी पार्टी को फायदा मिलेगा। इस मामले पर सपा जिलाध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि जल्द ही सपा हाईकमान से प्रत्याशी पर फैसला हो जाएगा और नामांकन किया जाएगा।

 

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