लखनऊ. कहा जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं। चार महीने बाद वो कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। विष्णुजी के शयनकाल के चार माह में विवाह व अन्य मांगलिक कार्य निषेध हो जाते हैं। भगवान विष्णु के जागने के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी की तिथि को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं। इस दिन श्रद्धालु भगवान को गरम कपड़े धारण कराते हैं और गन्ना, गुड़, खीर और सिंघाड़े का भोग लगाते हैं।

तुलसी का विवाह भगवान से कराने पर दूर होता है पिछले जन्म का पाप

  • शुक्रवार को देवोत्थानी एकादशी हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है।
  • शहरभर में शुक्रवार को लोग तुलसी और सालिग्राम का विवाह भी बड़ी धूमधाम से मनाएंगे।
  • देवोत्थानी एकादशी के लिए बाजारों में गुरुवार को लोगों ने पूजन सामग्री खरीदी।
  • वहीं, सिंघाड़ा, गन्ना, भगवान के वस्त्र और गुड़ आदि की भी खरीद हुई।
  • हालांकि कुछ लोगों ने गुरुवार को ही एकादशी व्रत रखकर पूजा भी की।
  • पंडितों के अनुसार घरों में विधि-विधान से तुलसी और भगवान सालिग्राम का विवाह भी होगा।
  • कार्तिक मास मे जो मनुष्य तुलसी का विवाह भगवान से करते हैं, उनके पिछले जन्मों के सब पाप मिट जाते हैं।
  • तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहते हैं। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत पूजन किया जाता है।
  • इसमें तुलसी के पौघे को महिलाएं सुहाग की सामग्री अर्पित कर, मिष्ठान का भोग लगातीं हैं।


शुरू होगा शादियों का दौर

  • 15 जुलाई से हरिशयनी एकादशी के कारण विवाह समारोह नहीं हो पा रहे थे।
  • सूर्य वृश्चिक राशि में आने के बाद ही विवाह के मुहूर्त शुरू होंगे।
  • पहला मुहूर्त 16 नवम्बर को होगा।
  • इसके अलावा नवम्बर में 21, 22, 23, 24, 25, 26, 30 और दिसम्बर में 1, 2, 3, 4, 8, 9, 13 तारीख मंगल कार्यों के लिए शुभ है।
  • 15 दिसम्बर 2016 की रात से खरमास लग जाएगा, जो 14 जनवरी 2017 तक रहेगा।
  • उसके बाद 16 जनवरी को शुभ मुहूर्त रहेगा।
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