मथुरा। युुपी के मथुरा में कोरोना की रफ्तार लगातार बढ़ती ही जा रही है। पहले कोरोना संक्रमित मरीज का निजी अस्पताल में इलाज कराना ही मुश्किल था, लेकिन अब मरने के बाद अंतिम संस्कार भी मुश्किल हो गया है।मथुरा के ध्रुव घाट पर अंतिम संस्कार के नाम पर की जा रही वसूली ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है । कलक्ट्रेट के एक पूर्व पेशकार की कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद स्वजन अंतिम संस्कार को ले गए, तो घाट पर तैनात कर्मचारियों ने 20 हजार रुपये मांगे। पैसे न देने पर अंतिम संस्कार करने से इन्कार कर दिया। बाद में 17 हजार देकर अंतिम संस्कार कराया गया।

कोरोना संक्रमित होने से हुई थी मौत।

मिली जानकारी के मुताबिक़ मथुरा के कोतवाली इलाके के कृष्ण विहार कॉलोनी निवासी त्रिलोक सिंह (63) कलक्ट्रेट में पेशकार रह चुके थे। 14 सितंबर को उनकी कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में मौत हो गई। एंबुलेंस से उनका शव ध्रुव घाट पर अंतिम संस्कार को भेजा गया। मृतक के बेटे कमल का कहना है कि ध्रुव घाट पर ऊपर के हिस्से में सामान्य तरीके से मरने वालों का अंतिम संस्कार होता है,जबकि नीचे के हिस्से में कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार किया जाता है।

घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मांगे गये 20 हजार।

मृतक के बेटे कमल का आरोप है कि जब वह अपने पिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर गए तो घ्रुव घाट पर अंतिम संस्कार के लिए 20 हज़ार रुपए मागे गये। उनका कहना है कि बड़ी मुश्किल से उनसे 17 हज़ार रुपये लेकर अंतिम संस्कार किया गया। कमल का कहना है कि बीस हजार रुपये देने पर ही अंतिम संस्कार करने को कहा। कमल ने इतने रुपये देने में असमर्थता जताई, तो उसने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।

कमल (मृतक का बेटा)

17 हजार में अंतिम संस्कार के लिए हुआ राजी।

काफी मान-मनौव्वल के बाद 17 हजार रुपये में वह अंतिम संस्कार को राजी हुआ। उनको करीब साढ़े तीन मन लकड़ी ही उसने उपलब्ध कराई थीं। 17 हजार रुपये पहले लेने के बाद अंतिम संस्कार किया। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए 20 हज़ार रुपये डिमांड किये जाने की घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है और आनन फानन में जांच शुरू कर दी है।

मनोज कुमार (नगर मजिस्ट्रेट)

पहले भी आ चुका है ऐसा ही मामला।

वही इस बारे में नगर मजिस्ट्रेट मनोज कुमार का कहना है कि एक मामला अगस्त माह में संज्ञान में आया था जिसका निराकरण कराया गया था अब यह मामला संज्ञान में आया है घ्रुव घाट सचालन समिति एव नगर निगम और पुलिस की सयुक्त बैठक करके इसका समाधान कराते है।

Input by –  जय शाश्वत

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