मथुरा-के द्वारिकाधीश मंदिर में होली के रसिया गायन शुरू- विस्तृत रिपोर्ट:

मथुरा-

यूं तो होली का पर्व पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में इसका विशेष महत्व है/ बाँके बिहारी के मंदिर में बसंत पंचमी के दिन से होली की शुरुआत होती है और इसी दिन से ब्रज में होली का डांडा गड़ने के बाद से ही सम्पूर्ण ब्रज मंडल में होली की धूम दिनों-दिन बढती जाती है।

मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में होली के रसिया गायन शुरू हो गया है ।ब्रज में भगवान श्री कृष्ण की रासलीलाओं का संगीतमय वर्णन ही रसिया के रूप में गाया जाता है और यह होली रसिया मुख्य रूप से बृज भाषा में ही होता है। ।
ब्रज की होली और संगीत का आपस मे बड़ा अद्भुत रिश्ता है ।फाल्गुन शुरू होने के साथ बृज के प्रमुख मंदिरों में होली रसिया गायन शुरू हो जाता है ।

जिसमें सभी भक्त मदिर में आकर बर्षों पुराने ढप को बजाते है और होली के मद मस्त कर देने वाले रसियाओं को गाते है और जिन्हें सुन कर भक्त अपने आप को होली की मस्ती में झूमने से नहीं रोक पाते है। दूर दूर से आये भक्त इन गानों पर झूमते नाचते हुए ब्रज की होली का आनंद लेते है और भगवान् द्वारिकाधीश को पुजारी और भक्त सभी गुलाल भी लगाते है / ये आयोजन द्वारिकाधीश मंदिर में कई दिन चलता है जिसमे ब्रज के भक्त ही नहीं बल्कि समस्त भारत के लोग शामिल होते है और यहाँ हर दिन होने वाली कई तरह से होली का आनंद लेते है /
ऐसा माना जाता है कि बृज की प्रसिद्ध होली बिना होली रसिया गायन के अधूरी लगती है ।

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