सपा की विधानसभा में है कम ताकत :

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में समाजवादी पार्टी के मात्र 47 विधायक हैं जिसके कारण सपा से सिर्फ एक सदस्य ही चुन कर राज्य सभा जा सकता है। सपा में अब पहले की तुलना में सभी कुक बदल चुका है तो मुमकिन है कि जो नेता सपा से राज्य सभा जायेगा, वह निश्चित तौर पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पसंद होगा और उनका करीबी होगा। अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से संगठन में सिर्फ उनके करीबी नेताओं को पद दिए जा रहे हैं। मुलायम और शिवपाल के करीबी नेताओं को अनदेखा किया जा रहा है। प्रवक्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष सभी अखिलेश यादव की पसंद के हैं। सपा 1 सदस्य को चुन कर भेज सकती है मगर अगर विपक्ष को एकता दिखानी है तो उन्हें दूसरी सीट पर संयुक्त प्रत्याशी उतारना होगा।

मायावती हो सकती हैं संयुक्त प्रत्याशी :

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी अपनी 312 सीटों की प्रचंड ताकत के बल पर 10 में से 8 सीटों पर अपने सदस्य चुन कर राज्य सभा आसानी से भेज सकती हैं। ऐसे में सपा भी 1 सदस्य तो आसानी से सदन भेज सकती है मगर बाकी बची 1 सीट को अपने पास बचाने के लिए तीनों विपक्षी दलों में तैयारियां शुरू हो गयी हैं। चर्चा है कि अगर विपक्ष संयुक्त प्रत्याशी उतारे तो ये सीट विपक्ष की हो सकती है। अगर सपा-बसपा, कांग्रेस मिल जाएँ तो एक सीट के जरूरी 36 मतों के आधार पर वे 2 सीटें आसानी से जीत सकती है। सूत्रों के अनुसार, अगर इस फार्मूले पर तीनों दलों की सहमती बनी तो बसपा प्रमुख मायावती इस सीट पर साझा उम्मीदवार बन सकती हैं।

 

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