बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती ने सवर्ण आरक्षण बिल को चुनावी छलावा बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन करेगी। मायावती ने इस आरक्षण को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। सवर्णों को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल ला सकती है। इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “सवर्ण आरक्षण के प्रस्ताव का उनकी पार्टी समर्थन करेगी। हालांकि, मोदी सरकार यह फैसला एक छलावा है।” इससे पहले सवर्ण आरक्षण को कांग्रेस, आप और एनसीपी ने समर्थन देने की बात कही है। आज संसद का आखिरी दिन है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। बता दें कि 1991 में केंद्र सरकार ने सवर्णों को 10% कोटा देने का फैसला किया था। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया। 2003 में भाजपा, 2006 में कांग्रेस ने इसके लिए मंत्री समूह बनाए थे।

मायावती ने कहा, “लोकसभा चुनाव से पहले लिए गया यह फैसला हमें सही नीयत से लिया गया नहीं लगता है। यह चुनावी स्टंट और राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर भाजपा सरकार यह फैसला चुनाव के और पहले लेती। बाबासाहेब के अथक परिश्रम और त्याग के बाद ही गरीब और शोषित वर्ग के दलित और आदिवासियों को आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था काफी पुरानी हो चुकी है। इसलिए एससी-एसटी ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात के हिसाब से आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘भाजपा इस समय लगातार चुनाव हार रही हैै। ऐसे में गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के संदर्भ में उनकी यह घोषणा लोगों की नजर में चुनावी छलावा ही ज्यादा लग रहा है। लेकिन फिर भी बसपा इस संदर्भ में लाए जाने वाले संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करेगी। क्योंकि यह हमारी पार्टी की सबसे पहले और सबसे पुरानी मांग है।’

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सही नीयत से नहीं लिया फैसला – मायावती[/penci_blockquote]
आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस फैसले से विभिन्न वर्गों का कुल आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय कर रखी है। भाजपा का वोट बैंक मानी जाती रही सवर्ण जातियां आरक्षण की मांग करती रही हैं। जनरल कैटेगरी में सवर्णों के अलावा मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। आरक्षण के लिए परिवार की अधिकतम सालाना आय 8 लाख रुपए तय की गई है। माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम एससी- एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटे जाने से नाराज सवर्णों को लुभाने के लिए उठाया है। इसका खामियाजा पार्टी को हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा था।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]आरक्षण के लिए ये हैं 5 प्रमुख मापदंड [/penci_blockquote]
1. परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रु. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
2. परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
3. आवेदक के पास 1,000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए।
4. म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए।
5. नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर न हो।

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