राजधानी समेत प्रदेश भर के अस्पताल दवाओं की किल्लत से जूझ रहे हैं। अस्पतालों में जीवनरक्षक आवश्यक दवाओं का स्टॉक खत्म हो चुका है। आपूर्तिकर्ता पुराने आर्डर पर अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति नहीं कर रहे। इसका खामियाजा अस्पताल आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा हैं, जिन्हें पहले इलाज के लिए घंटों की मशक्कत करनी पड़ती है बाद में  घंटों लाइन में लगकर दवा लेनी पड़ती है जो की पूरी नहीं मिल पति है। ऐसे में मरीज को आधी अधूरी दवाएं देकर चलता किया जा रहा है।

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 पोर्टल से होगी प्रदेश में दवाओं की खरीद व निगरानी

  • प्रदेश के अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति के लिए आर्डर भेजने व स्टॉक व्यवस्था को ड्रग प्रोक्योर इंमेन्ट्री कंट्रोल सिस्टम (डिपिक) नामक पोर्टल का प्रयोग किया जा रहा था।
  • पोर्टल की निगरानी करने वाले संस्थान एनआईसी भी इन खामियों का समाधान नहीं खोज सकी।
  • जिसकी वजह से अस्पतालों में दवाओं की समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकल सका।
  • सरकार के नए निर्देश के तहत डिपिट को बीते 26 मई को बंद कर दिया गया।
  • लेकिन, दवाओं की आपूर्ति व स्टॉक मेनटेन के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।
  • करीब 20 दिनों से अस्पतालों में दवा आपूर्ति के आर्डर व भंडारण का कामकाज पूरी तरह से ठप्प पड़ा है।
  • जिसकी वजह से राजधानी समेत पूरे यूपी में करीब ढाई सौ अस्पतालों में दवाओं का संकट छाया हुआ है।
  • राजधानी लखनऊ के प्रमुख अस्पतालो समेत प्रदेश के चिकित्सालयों में जीवनरक्षक आवश्यक दवाएं खत्म हो चुकी हैं।
  • सेंट्रल सीएमएसडी में आरसी वाली जिन आपूर्तिकर्ता क पनियों को 26 मई से पहले आर्डर दिया गया था उन्होंने अभी दवाओं की आपूेर्ति नही की।
  • दवाओं की अपूर्ति व आर्डर भेजने और स्टॉक मेनटेन की निगरानी के लिए  पोर्टल शुरू हुआ है।
  • ये पोर्टल  यूपी डीवीडीएमएस डॉट डीसी सर्विस डॉट इन नाम से शुरू किया गया है।
  • ताकि संबंधित अस्पतालों को पोर्टल का पासवर्ड देकर इसके संचालन की जानकारी दी जा सके।
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