बेटी जहमत नहीं रहमत होती है। यह अपने इल्म के रोशनी से भी एक नहीं बल्कि दो घरों को रोशन करती है आज केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिंहा ने एक दिव्यांग मां की बेटी को अपनी बेटी की तरह उसके हाथ पकड़ कर स्कूल ले गए, और उसका स्कूल में एडमिशन कराया जिसका पूरा खर्च भी स्वयं वहन करेंगे।

चाकू से किये थे कुल 17 वार

दिव्यांग रिंकू जन्म से ही दिव्यांग है। इसकी शादी के बाद एक बच्ची लाडो हुई वह शादी के कुछ दिनों के बाद ही पति पत्नी में अनबन हुआ, और पति ने रिंकू के गले पर एक से दो नहीं बल्कि चाकू से कुल 17 बार किए थे। ताकि रिंकू की हत्या किया जा सके। लेकिन जाको राखे साइया मार सके ना कोय। वही हुआ भी। इस घटना की जानकारी जब रेल राज्य मंत्री के निजी सचिव सिद्धार्थ राय को हुई तो उसका इलाज कराया। और पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इस मुकदमा में रिंकू के सास व ससुर ने इसके खिलाफ गवाही दिया। दिन बीतता गया और रिंकू की लाडली लाडो भी बड़ी हुई। अब वह चल फिर व लोगों से बात भी करती है। लेकिन रिंकू के सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि वो अपना पेट पाले या लाडो की पढ़ाई कराए। यह बात जब सिद्धार्थ को पता चला तो उन्होंने यह बात मंत्री के सामने रखी।

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मकर संक्राति के दिये किये नेक काम

मनोज सिन्हा ने इसे एक जरुरी काम समझा और आज मकर संक्रांति पर जब स्कूल बंद चल रहे है तो पर्सनल रिक्वेस्ट पर स्कूल का कार्यालय खुलवा कर एक जिम्मेदार नागरिक व अभिभावक की तरह बच्ची का हाथ पकड़ स्कूल पहुंचे और उसका दाखिला कराया। इस साल का खर्च अपने पाकेट से दिया। इस दौरान मंत्री ने एक सामाजिक व एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य बताया।

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वही स्कूल के डायरेक्टर समीर अहमदी ने बताया कि वो इस बेटी के लिए 12 तक कि निशुल्क शिक्षा मील इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे। रिंकू अपनी बेटी का स्कूल में दाखिला वह भी भारत सरकार के मंत्री के हाथों कभी सोची भी नही थी। जिसके लिए उसने मनोज सिन्हा को धन्यवाद दिया और खुसी के आंसू उसके आंखों में देखने को मिले।

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