2019 लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुट गयी हैं. आगामी चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश बेहद महत्वपूर्ण हैं और यही कारण हैं कि भाजपा यूपी में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती. यूपी को भेदने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लगातार दौरे कर रहे हैं. यूपी में इसके लिए शुरुआत पूर्वांचल से हुई हैं. 

बनारस से हुआ शंखनाद:

इसके लिए लगभग 3 महीने पहले ही बीजेपी के रास्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बनारस के काशी विद्यापीठ के मैदान से एक रैली कर पूर्वांचल में चुनावी बिगुल फूंक दिया था. जिसके बाद लगातार सीएम योगी, पीएम मोदी सहित तमाम वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्वांचल जिलों के दौरे पर हैं.

इसी कड़ी में न केवल कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने कबीर के जरिये मगहर से पूर्वांचल को भाजपा के पक्ष में करनी की कोशिश की बल्कि खुद अमित शाह अपने आज और कल के मिर्जापुर, वाराणसी दौरे के साथ 2019 की रणनीति बनाने में लगे हैं.

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यूपी में पूर्वांचल महत्वपूर्ण: 

पूर्वांचल दलित, पिछड़े, ब्राह्मण, ठाकुर, मुसलमान और न जाने कितने जातीय समीकरणों में उलझा हुआ हैं. जो किसी भी चुनाव का रुख बदलने के लिए काफी हैं. भाजपा के पिछली जीत इन्ही जातीय समीकरणों में सही रणनीति बैठने का परिणाम था. जिसमे पूर्वांचल के वाराणसी में मोदी ने जीत दर्ज करवाई थी.

भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल पर अपना पूरा जोर इसलिए भी आजमा रही है, क्योंकि पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है, जो बीजेपी को 2019 में परेशानी में डाल सकता है। खासकर तब जब सपा और बसपा गठबंधन में आ गयी हैं.

2014 चुनाव में भाजपा भले ही जीत गयी थी पर इसकी एक वजह बसपा और सपा का आपस में वोटो को काटना था लेकिन इस बार 2019 लोकसभा से पहले सपा और बसपा का एक होना भाजपा के लिए मुसीबत बन सकता है. इसीलिए भाजपा पूर्वांचल को अपने पक्ष में करने में लगी है.

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उपचुनावों के परिणाम भी कारण: 

हाल ही में हुए चार उपचुनावों में भाजपा की हार के बाद पार्टी की झटपटाहट लाजमी हैं. गोरखपुर और फूलपुर दोनों ही पूर्वांचल के क्षेत्र थे जहाँ भाजपा को सपा-बसपा गंठबंधन ने बड़ा झटका दिया. वहीं नूरपुर और कैराना उपचुनावों में जातिगत आधार पर पड़े वोटों ने बीजेपी को ये याद दिलाया कि बहुमत से जीतने वाली भाजपा की स्थिति समय दर समय खराब हो रही हैं. भाजपा ने अपनी सबसे मजबूत सीट भी गंवा दी.

पीएम मोदी और अमित शाह ने संभाली कमान:

सीएम योगी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में इस बार उपचुनावों में भाजपा की करारी हार के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने दोबारा यहाँ अपनी स्थित बनाने के प्रयास में पीएम मोदी का मगहर दौरा तय किया. गोरखपुर के पास मगहर में पीएम मोदी की संत कबीर के जरिये जनसभा के राजनैतिक कार्ड खेला.

और अब आगे का काम संभाला राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने. आज वाराणसी, मिर्जापुर में दौरे के साथ मिशन 2019 की नब्ज टटोलने के लिए अवध काशी और गोरक्ष प्रांत की 30 लोकसभा सीटों के प्रभारियों के साथ बैठक कर रहे हैं.

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पीएम मोदी का आजमगढ़ दौरा:

आजमगढ़ मुलायम सिंह यादव का संसिदीय क्षेत्र हैं. पूर्वांचल का ये जिला सपा के वर्चस्व को दिखता है. जहाँ मुस्लिम और यादव वोट बैंक सपा के पक्ष में अब तक रहे हैं.

आगामी चुनावों और सपा को कमजोर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी आजमगढ़ में रैली करने की तैयारी में हैं। वाराणसी में अपने चार सालों के कार्यकाल में पीएम मोदी ने जितने विकास कार्य कराए हैं, उस पर उनका फोकस चंदौली, आजमगढ़, भदोही समेत अन्य जिलों पर भी रहा है।

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल को साधने के लिए अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को अभी जारी रखने की तैयारी में है और माना जा रहा है कि 14 जुलाई को प्रधानमंत्री आजमगढ़ में एक बड़ी रैली करके कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात इस जिले को दे सकते हैं। ठीक लोकसभा चुनाव से पहले सपा के गढ़ में पहुंचकर नई परियोजनाओं का शिलान्यास करना पीएम मोदी और बीजेपी को बड़ा फायदा भी पहुंचा सकता है.

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