उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्ज़ा विधानसभा के विधायक विजेंद्र सिंह की मेहनत और प्रयासों से उन्होंने अपने द्वारा गोद लिए गए गांव उस्मापुर के प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल की सूरत ही बदल कर रख दी है. यहां इंग्लिश मीडियम के जरिये भी जहां पढ़ाई कराई जाती है तो वहीं सरकारी स्कूल को मॉडर्न तरीके से विकसित किया गया है. क्षेत्र के आसपास के लोग भी अपने बच्चों को अब यही पढ़ाते हैं। पेश है UttarPradesh.Org की ये खास खबर।

विधायक विजेंद्र सिंह ने गाँव को गोद लेने के बाद किया सुधार:

यूं तो अक्सर कॉन्वेंट स्कूल का जिक्र या नाम ज़ेहन में आते ही एक अनुशासन से लबरेज़ तस्वीर सामने आ जाती है और ये सच्चाई भी है.

वहीं जब सरकारी स्कूल का नाम लिया जाता है तो वो तस्वीर नहीं विकसित हो पाती. लेकिन बुलंदशहर जिले के खुर्जा तहसील के सरकारी विद्यालय को देख कर लोग तो देखते ही रह जाते हैं.

जहां न सिर्फ पढ़ाई का स्तर लगातार सुधरा है बल्कि जो पहले अपने बच्चों को शहर के कॉन्वेंट में भेजकर पढ़ाई कराते थे, वो अभिभावक भी अब इस पूर्ण विकसित इंग्लिश मीडियम प्राथमिक और जूनियर प्राथमिक सरकारी पाठशाला में अपने बच्चों को भेजने में नहीं हिचकिचाते.

स्कूल में दाखिले बढ़े:

जब इस बारे में ग्रामीणों और क्षेत्र के लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिस तरह इस स्कूल का काया-कल्प किया गया है.

वैसे ही अगर इसी तरह तमाम सरकारी स्कूलों में पढ़ाई लिखाई पर गौर की जाए तो निश्चित ही लोगों और छात्रों में एक रूपता आएगी। इसके साथ ही सरकारी तंत्र पर लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा.

इस विद्यालय में पढ़ाई का बेहतर स्तर भी है. अब यहां के माहौल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूल के बच्चे फर्राटेदार इंग्लिश भी बोलते हैं। साथ ही उन्हें नैतिक शिक्षा और स्काउट गाइड की ट्रैनिंग भी दी जा रही है.

वहीं इस स्कूल में अब छात्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. तो वहीं यहां का माहौल पूरी तरह से इंग्लिश मीडियम और हिंदी माध्यम के साथ जिले के बेहतर निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है.

साफ़ सफाई और शिक्षा के स्तर में हुआ सुधार:

विद्यालय की बिल्डिंग की सुंदरता तो अपनी और आकर्षित करती ही है. ये सारा कारनामा हुआ है खुर्जा के एमएलए बिजेंद्र सिंह के प्रयास से।

इस बारे में बात करते हुए विधायक बिजेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने उस्मापुर गांव को गोद लिया था और उन्हें जो भी लगा वो करते चले गए. उन्होंने कहा कि आज वो यहां की तमाम व्यवस्थाओं से संतुष्ट भी हैं।

फिलहाल जन प्रतिनिधि चाहें तो देश के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती है. इस बात का उदाहरण है उस्मापुर गांव और उसको गोद लेने वाले एमएलए विजेंद्र सिंह.

सरकारी विद्यालय में अगर सभी बुनियादी सुविधाएं इसी तरह उपलब्ध हो तो देश बदलेगा और समाज में एकता का भाव भी जागरूक होगा। महंगी शिक्षा पद्धति से छुटकारा भी मिलेगा।

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