सम्पूर्ण विश्व के लिए शान्ति, सुख व समृद्धि की प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल है। ब्रहम महुर्त में उठना और चराचर के मंगल की कामना करना हमारे ऋषि मुनियों की दिनचर्या में है। सर्वेभवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुख भाग्यभवेत। ऊॅं शान्ति शान्ति शान्ति! अर्थ सभी सुखी होवे, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मगंल घटनाओं के साक्षी बने, किसी को दुख का भागी न बनना पड़े। यह कल्याणकारी मंगलकारी भाव जब आचरण में उतरता है तो विवेकानन्द अपने जीवन की अल्प अवधि में ही विश्व को प्रिय व आदरणीय लगने लगता है। यह महक स्वामी रामतीर्थ ने भी विश्व को दी है।

मोदी शान्ति व विकास के प्रणेता के रूप में सामने आये

आज विश्व विवेकानन्द व रामतीर्थ की खुशबू महक भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में साफ-साफ देखता है। विश्व के मंचों पर नरेन्द्र भाई जब योग का संदेश देते है तो रोग मुक्त, शान्ति प्रिय जीवन शैली की ही बात करते है। मोदी ने अपने चार वर्ष के प्रधानमंत्री काल के दौरान लगभग सारे विश्व में जाने तथा उनको भारत बुलाने का जो अभियान चलाया है। उसमें से नरेन्द्र भाई मोदी शान्ति व विकास के प्रणेता के रूप में सामने आये है। मोदी अपनी कड़ी मेहनत, ईमानदारी से सरकार चलाने के गुण तथा अति साधारण खान पान के कारण भी खास लोकप्रिय हुए है।

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सबका साथ सबका विकास मोदी सरकार का नारा

सबका साथ सबका विकास यह नारा है मोदी सरकार का। यह नारा न केवल मोदी भारत में देते है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए भी कहते है। सबका साथ यानि सम्पूर्ण विश्व का साथ-सबका विकास यानि चराचर का विकास हो यह मोदी जी का दर्शन है। इजराइल और फिलिफिन्स एक दूसरे के जानी दुश्मन देश है। मोदी इजराइल गए वहाॅ पर उन्होंने शान्ति और विकास व सबका साथ सबका विकास हो यह संदेश दिया। इजराइल में मोदी का जो भव्य स्वागत हुआ। वह यह बताने के लिए काफी था कि यह उनकी मेहनत का परिणाम है। कुछ ही महिनों बाद नरेन्द्र भाई ने फिलिफिन्स की यात्रा की। वहाॅ भी मोदी ने यही संदेश “सबका साथ सबका विकास” हो। यही फिलिफिन्स की धरती से विश्व भर को दिया। फिलिफिन्स ने अपने सर्वोच्च सम्मान से मोदी को नवाजा।

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 शिंजो आबे ने कहा “जय हिन्दूस्तान जय जापान”

इजराइल और फिलिफिन्स दोनों कट्टर दुश्मन देशों में मोदी का जाना वहाॅ पर आपसी शान्ति व विकास की राह दिखाने का था। मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री वहाॅ के लोकप्रिय नेता शिंजो आबे को भारत बुलाया और वे मोदी के भारत में काम को देखकर बेहद प्रसन्न हुए और बोल उठे “जय हिन्दूस्तान जय जापान”। बुलेट ट्रेन भारत में जापान के सहयोग से चलेगी यह समझौता हुआ। जहाॅ-जहाॅ भी मोदी गए वहाॅ-वहाॅ से विकास की रौशनी लाने व देने वाले महान नेता बने है। अमेरिका और ईरान एक दूसरे को फूटी आॅख नहीं सुहाते है। रूस व अमेरिका की तनातनी बनी रहती है। यह महान नेता अमेरिका में भी और रूस व ईरान में भी शान्ति व विकास का ही मूल मंत्र देता है।

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मोदी की नीतियों का समर्थन करता है रूस और अमेरिका

अमेरिका भी मोदी की नीतियों का उतना ही समर्थन करता है जितना रूस। अफगानिस्तान के विकास व शान्ति की बात मोदी हमेशा करते है। विश्व में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सभी मुल्कों को राजी करते हैै। नौजवानों, किसानों व महिलाओं की बेहतरी के लिए योजनाओं का विस्तार के वर्णन करते है। विश्व को रोग मुक्त-योग-युक्त व विकास तथा शान्ति की राह सदा दिखाते रहते है। आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित मुल्क भी भारत की और देखने लगे हैं। यह मोदी की नीतियों के कारण ही सम्भंव हो पाया है।

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गौर से सुनता है विश्व भारत की बात

भारत की बात विश्व गौर से सुनता है और मानता भी है, यह है मोदी मैजिक का कमाल। मोदी ने अभी-अभी चीन की यात्रा की है। चार साल पहले 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोंदी की यह चौथी चीन यात्रा हैं। उनकी और शी जिनपिंग में शिखर वार्ता हुई हैं। उनकी एक और चीऩ यात्रा प्रस्तावित है। मोदी 9-10 जून को चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग सगंठन, एससीओ सम्मेलन में भाग लेने जा सकते है। डोकलाम पर विवाद के बाद भारत और चीन के रिश्तों में तनाव बढ़ा था, जो मोदी की कूटनीति के कारण खत्म सा हो चुका है। उस समय जब चीन 73 दिन तक लगातार युद्ध की धमकी देता रहा। तब मोदी ने देशवासियों से कहा था कि आप निश्चिन्त रहें भारत की तरफ आॅख उठा कर देखने की ताकत किसी में नहीं है।

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1962 का  भारत समझाना चीन की भूल

विश्व के मंचों पर चीन ने अपने समर्थन के लिए खूब हाथ पैर मारे थे, लेकिन सब ओर से उसे निराशा ही हाथ लगी। जबकि भारत के कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम था कि जापान ने चीन से कहा कि भारत को अकेला समझाने की भूल न करे चीन। इजराइल ने कहा था अगर भारत व चीन के बीच युद्ध हुआ तो उनका देश भारत के साथ होगा। रूस ने चीन से साफ साफ शब्दों में कह दिया था कि गलती भारत की नहीं है चीन की है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया भी भारत के साथ खड़े थे खड़े है। चीन को तब पता चल गया कि अब भारत को 1962 का  भारत समझाना भयंकर भूल साबित होगी। 73 दिन बाद  भारत की ताकत के सामने चीन ने अपने कदम पीछे खींचे।

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भारत को महान भारत बनाने में मोदी का योगदान

भारत को महान भारत बनाने में नरेन्द्र भाई का अविस्मरणीय योगदान है। पकिस्तान जैसा देश भारत को 2014 से पहले खुली धमकियां दिया करता था कि अब पाकिस्तान परमाणु ताकत है उससे पंगा न ले भारत। भारत की सेना के जवानों के सर तक को काट ले गए थे पाकिस्तानी सैनिक। भारत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। पाकिस्तान का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा था। देश गुस्से में था लेकिन तत्कालीन सरकार कमजोर थी, उसमें हिम्मत नहीं दिखायी अपनी। जिसका परिणम था कि देश में पाकिस्तान इशारे पर आतंकी देश भर में  सिरियल ब्लास्ट कर रहे थे।

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सर्जिकल स़्ट्राइक कर लिया था उड़ी हमले का बदला

मोदी के सत्ता में आने के बाद अपनी आदत से बाज न आने वाले पाकिस्तानी आतंकियों ने उड़ी में सेना के कैम्प पर हमला किया। आतकंवादियों को सेना ने मार गिराया और ऐलान कर दिया कि इसका जवाब भारत पाकिस्तान को ब्याज समेत देगा। हमारे सेना प्रमुख ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर पाकिस्तान से साफ’ साफ शब्दों में कहा कि बदला लेने के लिए समय और स्थान भारत तय करेगा।

सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स़्ट्राइक की 40 से 50 आतकियों को मौत के घाट उतार दिया। और किसी को कानों-कान खबर तक नही लगने दी। तब मोदी ने सेना प्रमुख को बधाई दी और कहा कि पाकिस्तान को बता दो हमने जिन आंतकियो को मौत के घाट उतार दिया है उनके शव उठा ले जाए। और आइंदा हिमाकत करने की भूल न करे वरना परिणाम इससे भी बुरा होगा तुम्हारा। विश्व को मोदी स्वयं प्रेसवार्ता कर बताया कि भारत ने न केवल आंतकियो को मारा है बल्कि उनके कैम्पो को भी तबाह कर दिया है।

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दूसरे देशों में भी चलाते हैं विकास की योजनायें

मोदी सदा विकास की बात करते हैं, भारत की संस्कृति की बात करते है। भारत कभी किसी मुल्क पर बुरी नजर नहीं रखता है। नेपाल या भूटान व बांग्लादेश जैसे छोटे-छोटे देशों की भी भरपूर मदद करता है। उनके यहाॅ विकास की योजनायें चलाता है। भारत की इसी बात का सभी मुल्क खुलकर समर्थन करते है कि भारत सदा सबके कल्याण की न केवल बात करता है, अपितु व्यवहार में भी भारत में यह सब दिखता है। एक भारत-श्रेष्ठ-भारत, सबका साथ-सबका विकास यह रास्ता सभी को पसंद है। मोदी ने चीन में कहा कि दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी के लिए काम करने की जिम्मेदारी दोनों मुल्कों पर है। चीन के राष्ट्रपति को भारत आने का निमन्त्रण भी दिया। जिसको उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है। दोनों मुल्को का साथ-साथ विकास व शांति की बात सराहनीय है।

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