बीजेपी सांसद के गोद लिए गाँव को नहीं मिल पा रही सरकारी सुविधाएं

  • गो विलेज नामक संस्थान ग्रामीण भारत के विकास के लिए कार्यरत है।
  • इस संस्थान का जन्म भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के प्रारूप के साथ हुआ।
  •  माननीय मोदी जी ने जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर
  • संसद सदस्यों को एक गॉव गोद लेकर उक्त ग्राम को आदर्श ग्राम बनाने की आवशकता पर बल दिया।
  • सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत गोद लिए हुए ग्राम में गो विलेज संसद सदस्यों के लिए सहयोगी का काम कर रहा है।
  • माननीय सांसदों को उक्त ग्राम से सम्बंधित सही जानकारी

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  • रिसर्च और इस कार्य में जन भागेदारी को सुनिश्चित करने का काम गो विलेज के साथी कर रहे हैं।
  • साथ ही उक्त ग्राम के मूल निवासी जो उस ग्राम से बाहर रहते हैं( ग़ैर प्रवासी ग्रामीण )
  • उनलोगों को भी सांसद आदर्श ग्राम योजना में भागीदार बनाकर विकास की गति को और भी गतिशील बनाने हेतु
Go Village – (चलो गाँव की ओर.) प्रयासरत है
  • अतः आप सभी लोगों से आग्रह है की सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत अपने अपने सांसद महोदयों से संवाद करें।
  • इस योजना के माध्यम से लोगों में विकास का वातावरण पैदा हो 
  • इसके लिए सरकारी तंत्र और विशेषकर आपके संसदीय प्रतिनिधि से आपका समन्वय बने 
  • इसके लिए गो विलेज ने चलो गाँव की ओर का नारा दिया है।
  • गो विलेज उन सभी लोगों का सानिध्य चाहता है
  • जो भारत के ग्रामीण लोगों के जीवन में सुधार लाने की दिशा में कुछ करना चाहते हैं।
  • इसी कर्म में गो विलेज ने सभी सांसद सदस्यों को उनके उक्त ग्राम में अपना भरपूर सहयोग देने का निशचय किया है।
बाराबंकी: केंद्र सरकार द्वारा 11 अक्टूबर 2014 को शुरू की गई आदर्श ग्राम योजना
  • सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) का मुख्य उद्देश्य गाँवों
  • और वहां रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार कर एक आदर्श गाँव बनना है।
  • इस योजना के अन्तर्गत सांसदों को निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम
  • एक गाँव की पहचान कर और 2016 तक उसे एक आदर्श गाँव के रूप विकसित करना है।
  •  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सबसे नजदीक जनपद बाराबंकी में यहां की सांसद प्रियंका सिंह रावत
  • द्वारा गोद लिए गए बुधनई सांसद आदर्श ग्राम में पिछले दो साल बाद भी ऐसा कुछ नहीं दिखता है
  • जिससे ये गाँव सांसद आदर्श ग्राम योजना की श्रेणी में गिना जा सके।
  • बाराबंकी जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तहसील हैदरगढ़ का ये वही सांसद आदर्श ग्राम बुधनई है
 बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत ने गोद लिया है
  • गाँव के गरीब परिवारों को सरकारी सुविधाएं अभी तक नहीं मिल पायी हैं।
  • एक तरफ जहां पानी की समस्या से निपटने के लिए मनरेगा योजना के तहत सरकारी तालाबों की खुदाई हो रही है,
  • वहीं बुधनई गाँव के बीचों-बीच सरकारी तालाब पर कब्जा कर लोग उसपर मकान बना रहे हैं।
  • गाँव के तिलकराम बताते हैं, “न तो गाँव में नाली है और न ही खड़ंजा।
  • सांसद गाँव में दो- तीन बार आयी हैं और भाषण देकर चली जाती हैं।”
  • वहीं तिलकराम की पत्नी सरला देवी का कहना है, “सरकारी पेंशन की वो पात्र हैं
  • लेकिन उनको सरकारी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।
  • उनका मकान कच्चा है, छप्पर रखकर गुजारा करते हैं। खेती भी नहीं है।
  • मजदूरी करके किसी तरह परिवार को पाल रहे हैं।”
  •  लगीं चौपालें पर समस्याएं नहीं हुईं हल सांसद द्वारा गोद लिए गए
  • इस आदर्श गाँव में जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने कई बार
चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनीं
  • पर समस्या का समाधान नहीं कर सके।
  • गाँव के लोगों को खुल में शौच न करने के सुझाव दिए गए।
  • वहीं पैरों से विकलांग भारत और आंखों से विकलांग उनकी पत्नी कुसुमा को सरकारी सहायता देने के नाम पर शौचालय तो मिला |
  • लेकिन वो इस्तेमाल होने लायक नहीं है क्योंकि पता नहीं कब शौचालय गिर जाये।
  • शौचालय का निर्माण पीली ईंटें और बालू से किया गया है।
  •   सड़कों पर बहता है गंदा पानी गाँव में अधिकतर मकान आज भी खंडहर बने हैं।
 सांसद आदर्श ग्राम बुधनई गाँव है
  • लेकिन यहाँ तो सड़कों पर घरों से निकला गंदा पानी बहता है क्योंकि गाँव में अभी तक पक्की नाली नहीं बनवाई गयी है।
  • सांसद आदर्श ग्राम बुधनई के भूमिहीन राजेश कुमार और उन्ही के पड़ोस में रहने वाली राजकुमारी चौहान काफी समय से कच्चे और घासफूस के मकान में रह रहे हैं, लेकिन उन लोगों को कोई भी सरकारी सुविधा अभी तक नहीं मिली है।
  • राजेश कुमार का कहना है, “दो साल पूरे हो चुके हैं ये गाँव सिर्फ नाम का आदर्श गाँव है।
  • यहां न तो राशनकार्ड की सुविधा गरीबों को दी गयी है और न ही किसी को सरकारी आवास योजना का लाभ मिला है।
  • हां, सिर्फ सरकारी शौचालय बनवाए गए हैं वो भी पीली ईंट और बालू से जोड़कर।
  • जिनका गाँव वाले इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि वो भी कब गिर जाएं कोई भरोसा नहीं।

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