गंगा और यमुना में पाए जाने वाले कछुओं का दिल्ली हावड़ा रेल रुट पर सर्दी का सीजन शुरू होते ही शुरू तस्करी बढ़ जाती है. इन कछुओं से यौन वर्धक दवाओं का निर्माण किया जाता है. इसलिए पश्चिम बंगाल में इन प्रतिबंधित कछुओ की डिमांड बढ़ जाती है और तस्कर ट्रेन के जरिये इन प्रतिबन्धित कछुओ की तस्करी में जुट जाते है.लेकिन मुगलसराय जीआरपी इन तस्करों के लिये काल साबित हो रही है और तस्करों को पकड़ कर उनके चंगुल से कछुओं को आज़ाद करा रही है.
मुगलसराय में तस्करों पर जीआरपी की नजर
- दिसम्बर माह में दूसरी बार चेकिंग के दौरान मुग़लसराय स्टेशन पर जीआरपी ने चेकिंग के दौरान एक तस्कर को तीन बोरे कछुओं के साथ गिरफ्तार किया है.
- जिनमे प्रतिबंधित नस्ल के कछुए मिले है.
- गिरफ्तार तस्कर ने पुछ ताछ मे अपना नाम नक्छेद निवासी जगदीशपुर जिला अमेठी बताया है.
- इन कछुओं को वह सुल्तानपुर से पश्चिम बंगाल ले जा रहा था.
- जीआरपी तीनो बोरो को थाने पर लाई और वन विभाग की टीम को सौप दिया.
- बोरे में भरे कछुओ की गिनती की गई तो 150 कछुए मिले.
- इससे पहले भी कई बार कछुओ की खेप मुगलसराय स्टेशन पर पकड़ा जा चुका है.
अमेठी में पकड़े गए थे तस्कर
- जानकारी के मुताबिक, पिछले दिनों गौरीगंज थाना क्षेत्र के चतुरीपुर मऊ गांव के एक व्यक्ति के घर से 115 बोरो में भरे 4.4 टन कछुओ को यूपी एसटीएफ ने बरामद किया.
- लखनऊ पुलिस को खुफिया तंत्रों से इस अवैध तस्करी की सटीक जानकारी मिली थी.
- इसी आधार पर एसएसपी अरविन्द चतुर्वेदी तथा सीओ पी.के मिश्रा व दो इंस्पेक्टर की टीम ने चतुरीपुर के निवासी राज बहादुर उर्फ़ राज बल के घर पर छापे मारी की.
- यहां एसटीएफ की टीम ने लगभग 10 हजार कछुआ बरामद किया.
- मौके पर पहुंची वन विभाग व स्थानीय पुलिस टीम बरामद कछुओं को वन विभाग के कार्यालय लेकर गयी.
- राज बहादुर ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह क्षेत्र से ही लगभग 50 रुपए से लेकर 100 रुपए में एक कछुए की खरीदारी करता था.
- जिसे वह हजारों रुपए की कीमत लेकर बाहर बेच देता था.
- एसटीएफ ने बताया कि यह देश की सबसे बड़ी तस्करी के कछुआ बरामदगी है जो तस्करी हेतु रखी गयी थी.
- यह करोड़ों की कीमत के कछुए हैं.
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Kamal Tiwari
Journalist @weuttarpradesh cover political happenings, administrative activities. Blogger, book reader, cricket Lover. Team work makes the dream work.