सपा सरंक्षक मुलायम सिंह इस सीट से लड़ेंगे लोकसभा 2019 का चुनाव

समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट 2019 चुनाव के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण सीट है।  2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था।  जिसके बाद उनके पोते तेजप्रताप सिंह यादव उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत कर लोकसभा पहुंचे।  हालांकि, मुलायम सिंह यादव इससे पहले भी कई बार यहां से सांसद रह चुके हैं।

  • समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आगामी लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे।
  • इस बारे में पार्टी निर्णय कर चुकी है।
  • यह जानकारी सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने दी।
  • वह इटावा जिला कार्यसमिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
  • सपा-बसपा गठबंधन के सवाल पर प्रो. रामगोपाल ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
  • अखिलेश यादव और बहन मायावती ही इसका औपचारिक एलान करेंगे।
  • हालांकि सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने की बात को रामगोपाल ने काल्पनिक बताया।
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से ही लड़ सकते है लोकसभा 2019 का चुनाव

हालांकि, दोनों पार्टियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन सूत्रों का दावा है  समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आगामी लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे। इस बारे में पार्टी निर्णय कर चुकी है। यह जानकारी सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने दी। वह इटावा जिला कार्यसमिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। सपा-बसपा गठबंधन के सवाल पर प्रो. रामगोपाल ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

  • अखिलेश यादव और बहन मायावती ही इसका औपचारिक एलान करेंगे।
  • हालांकि सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने की बात को रामगोपाल ने काल्पनिक बताया।
  • वहीं दूसरी ओर खबरें हैं किं बीएसपी की प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गए हैं।
  • सूत्रों ने यह जानकारी दी।
  • सपा के सूत्रों ने बताया कि यादव ने प्रस्तावित गठबंधन के अंतिम पहलुओं पर चर्चा करने के लिए मायावती से मुलाकात की।
देश में हुए पहले के चुनाव के समय से ही चर्चा में रही है मैनपुरी लोकसभा सीट

मैनपुरी लोकसभा सीट देश में हुए पहले चुनाव के समय से ही चर्चा में रही है। 1952 से लेकर 1971 तक हुए देश में कुल 5 चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस को मात दी थी, पर अगले ही साल 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सीट वापस ले ली। उसके बाद 1980 में कांग्रेस से सीट छिनी पर 1984 की लहर में फिर वापस आई।

जानिए क्या है पिछले चुनावो में मैनपुरी सीट के समीकरण
  • 1984 में यहां कांग्रेस को आखिरी बार जीत नसीब हुई थी, जिसके बाद से ही ये सीट क्षेत्रीय दलों के कब्जे में रही है।
  • 1989 और 1991 में यहां लगातार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की।
  • 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से 1996 का चुनाव यहां से लड़ा और बड़े अंतर से जीता भी।
  • उसके बाद 1998, 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही।
  • 2004 में मुलायम ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की, लेकिन बाद में सीट को छोड़ दिया।
  • 2004 में धर्मेंद्र यादव यहां से उपचुनाव में जीते।
  • हालांकि, 2009 के चुनाव में मुलायम यहां दोबारा लौटे और सीट को अपने पास ही रखा।
  • 2014 के चुनाव में भी मुलायम ने यहां से जीत दर्ज कर अपने पोते तेजप्रताप सिंह यादव को ये सीट दे दी।
 शिवपाल यादव का भी इस सीट पर है बड़ा प्रभाव

गौरतलब है कि मैनपुरी क्षेत्र में ही जसवंतनगर आता है, जो कि शिवपाल यादव का विधानसभा क्षेत्र है। शिवपाल यादव इस बार समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनका भी इस सीट पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी शिवपाल यादव की संगठन पर मजबूत पकड़ थी। 2014 के आंकड़ों के अनुसार मैनपुरी लोकसभा में करीब 16 लाख से अधिक वोटर हैं।

इस सीट पर है करीब 35 फीसदी मतदाता यादव समुदाय
  • जातीय समीकरण को देखें तो इस सीट पर यादव वोटरों का वर्चस्व है।
  • यहां करीब 35 फीसदी मतदाता यादव समुदाय से हैं।
  • जबकि करीब 2.5 लाख वोटर शाक्य हैं।
  • यही कारण रहा है कि यहां समाजवादी पार्टी का एक छत्र राज चलता है।
  • इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभाएं आती हैं।
  • इनमें मैनपुरी, भोगांव, किषनी, करहल और जसवंतनगर है।
  • बता दें कि जसवंतनगर शिवपाल यादव का विधानसभा क्षेत्र है।
  • 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से सिर्फ भोगांव ही भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी।
  • जबकि बाकी सभी 4 सीटें सपा के खाते में गई थी।
रिपोर्ट-  संजीत सिंह सनी

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