समाजवादी पार्टी के निर्माणकर्ता मुलायम सिंह यादव की राजनीति में नींव के पत्थर का रोल अदा करने वाले समाजवादियों का अब समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो रहा है। समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत वोट बैंक समझा जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक में समाजवादी सेक्युलर मोर्चे ने सेंध लगानी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनावों के पहले समाजवादी पार्टी में ये टूट निश्चित तौर पर बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है। एक के बाद एक सपा के बड़े नेता लगातार सेक्युलर मोर्चे में शामिल होते जा रहे हैं।

अपने ही गढ़ में सपा हुई कमजोर :

मुलायम सिंह के पुराने मित्र इटावा के मुस्लिम समाज के कद्दावर नेता लल्ली बशीर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मुलायम सिंह यादव ने जब समजवादी पार्टी बनाकर राजनीति की शुरुआत की थी, तब मुलायम की मदद करने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचकर उस समय 10 हजार का चंदा दिया था। लल्ली बशीर का यह दावा है कि समाजवादी पार्टी से शिवपाल का हटना और मोर्चे को बना लेने के बाद से सपा अपने गृह जनपद में ही सबसे कमजोर हो गई है।

[penci_blockquote style=”style-2″ align=”none” author=””]मोर्चे के गठन से सपा गृह जनपद में सबसे कमजोर हो गई है[/penci_blockquote]

पूर्व यूथ ब्रिगेड जिलाध्यक्ष ने छोड़ी सपा :

शिवपाल के मोर्चा बनाने से उससे जुड़ा रहा मुस्लिम वोट बैंक भी असमंजस में दिख रहा हैं। इटावा के मुस्लिमों का मानना है कि सपा को मजबूत करने में मुलायम सिंह यादव के साथ ही शिवपाल सिंह यादव का अहम रोल रहा है। यहाँ पर लोग शिवपाल की तुलना में अखिलेश यादव को जमीनी नेता अधिक मान रहे हैं। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी की मुलायम यूथ ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष रहे फरहान शकील ने सपा से त्याग पत्र देकर अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा ज्वाइन कर लिया है।

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