पीएम नरेंद्र मोदी जून 2017 में राजधानी आए थे। जिन रास्तों से पीएम गुजरे थे, उन रास्तों पर एलईडी लाइटें लगवाई गई थी। EESL ने 10 हजार 991 एलईडी लाइट नगर निगम को दे दीं। इसके बाद नगर निगम बिजली के बिलों को कम करने के लिए सरकार एलईडी लाइटें लगवा रही है। लेकिन अफसरों की मिलीभगत से लाइटें चोरी करवाने का खेल चल रहा है। लाइटों का ये खेल नगर निगम के गोदामों में चल रहा है।

जानकारी के मुताबिक बालाकदर स्थित स्टोर रूम पर एलईडी लाइटें बिक रही हैं। कई और स्थानों पर नगर निगम के लाइनमैन ये लाइटें बेच रहे हैं। पड़ताल की तो पता चला कि अनुराग नाम का शख्स ये लाइटें बेच रहा था। बालाकदर स्थित स्टोर रूम के पास पहुंचने पर हमने लाइट के लिए यहां मौजूद एक व्यक्ति से पूछताछ की इस दौरान मामले का पता चला।

नगर निगम का दर्ज है व्यौरा

लाइट पर नगर निगम लखनऊ और उसे स्टोर से जारी करने की डेट अंकित है। लाइट पर आगे ईईएसएल का लोगों भी है। फिलिप्स कंपनी की 140 वॉट की यह लाइट है। इस दौरान जब मामले की जानकारी नगर आयुक्त उदयराज सिंह को मिली तो वे भी चौंके गये, लेकिन फिर उन्होंने फोन पर ही आरआर प्रभारी मोहन पांडेय से सवाल जवाब किया, जांच के निर्देश दिये।

16 करोड़ की लाइटें बेचने का है आरोप

पीएम नरेंद्र मोदी जून 2017 में राजधानी आए थे। जिन रास्तों से पीएम गुजरे थे, उन रास्तों पर एलईडी लाइटें लगवाई गई थी। EESL ने 10 हजार 991 एलईडी लाइट नगर निगम को दे दीं। नगर निगम अधिकारियों ने एयरपोर्ट से जानकीपुरम विस्तार तक कई लाइट लगवा दीं। इसके बाद एमओयू और अन्य तकनीकी कारणों का हवाला देकर EESL और नगर निगम लाइट उतरवाने लगे। हंगामा हुआ तो लाइट उतरवाने का काम वहीं रोक दिया गया। तब तक सात हजार से ज्यादा लाइट खंभों से उतारी जा चुकी थीं। जिनका हिसाब अफसर आज तक नहीं दे पाए हैं। आरोप है कि इन लाइटों को ही बेचा जा रहा है। इस मामले में जांच भी करवाई जा रही थी, जिसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आ पाई है।

गौरतलब हो कि बीते सालों पीएम मोदी ने सभी सरकारी संस्थाओं चाहे वह रेलवे स्टेशन हो या फिर सरकारी दफ्तर हर जगह पर एलईडी लगाने के लिए आदेश दिये थे। इसकी तहत प्रदेश के गांवों में कैप लगाकर एलईडी बल्ब का वितरण किया जा रहा था लेकिन राजधानी में हुए इस खेल ने सब उजागर कर दिया।

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