लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश जारी किया था। जिसके यूपी के कई पूर्व सीएम सरकारी बंगला खाली कर चुके हैं, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे हैं जो सरकारी बंगला बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं। पहले तो मायावती ने अपना सरकारी बंगला बचाने के लिए उसके आगे कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल का बोर्ड लगा दिया था और अब पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने अपने बंगले के आगे सर्वजन हिताय फाउंडेशन (पंजीकृत) का बोर्ड लगा दिया है।

इसे उनके सरकारी बंगले को बचाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले भी एनडी तिवारी ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देकर सरकार बंगला खाली करने में असमर्थता जताई थी. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को लखनऊ में 1ए मॉल एवेन्यू में सरकार बंगला आवंटित किया गया था।

मायावती ने किया था आवास बचाने का प्रयास

बता दें कि इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती भी अपना 13ए एवेन्यू स्थित सरकारी बंगला बचाने के लिए उसके आगे ‘कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल‘ का एक बोर्ड लगा चुकी हैं। उनका कहना है कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में लखनऊ के लालबहादुर शास्त्री मार्ग स्थित बंगला नंबर 6 आवंटित किया गया था।

उन्होंने 30 मई को अपना यह बंगला खाली कर दिया और चाबियां स्पीड पोस्ट के माध्यम से राज्य संपत्ति अधिकारी को भेज दीं। इस बाबत पिछले दिनों बसपा महासचिव सतीश मिश्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। उन्होंने दलील दी थी कि मायावती को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री बंगला नंबर 6 आवंटित हुआ था।

13ए मॉल एवेन्यू बंगले के दो कमरों में ही वह रहती हैं। उन्होंने मायावती को बंगले के छोटे हिस्से में रहने देने की अनुमति का आग्रह किया था।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह कर चुके आवास खाली

वहीं गृह मंत्री और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ स्थित अपना सरकारी बंगला खाली कर चुके है। उनका सामान भी उनके गोमती नगर स्थित निजी आवास में शिफ्ट कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबसे पहले बंगला खाली करने वालों में राजनाथ सिंह का नाम सबसे पहले आता है।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने भी अपने बंगले खाली करने की घोषणा करने के बाद सरकारी बंगलों से सामान भी 31 मई से हटाने की कवायद शुरू हो गई है।

हालांकि इससे पहले अखिलेश यादव ने राज्य संपत्ति विभाग से बंगला खाली करने के लिए दो साल का वक्त की मांग की थी। इसी राह पर चलते हुए मुलायम सिंह यादव ने भी दो साल का वक्त मांगा था. हालांकि बाद में बंगला खाली करने की शुरुआत कर दी.

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