यूपी वित्त पोषित स्वतंत्र (शुल्क का विनिमय) विधेयक 2017 का प्रस्तावित मसौदा तैयार हो गया था, इस मसौदे पर अभी 22 दिसंबर तक आपत्तियां मांगी गई थीं, योगी सरकार अगले शैक्षिक सत्र में इसे लागू करना है, जिसके तहत सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है, मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी शुल्क के विवादों की सुनवाई करेगी, जिसकी जानकारी उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने दी थी। भविष्य में स्कूल से जुड़े मामलों के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा, ये प्रस्ताव सभी बोर्ड के स्कूलों के लिए हैं।
फीस पर लगाम लगाने के विधेयक का ड्राफ्ट जारी:
- शुक्रवार को योगी सरकार में शिक्षा मंत्री और उप-मुख्यमंत्री डॉ० दिनेश शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस कर फीस पर लगाम लगाने की जानकारी दी थी।
- जिसके बाद शनिवार को योगी सरकार ने फीस कम करने वाले विधेयक का ड्राफ्ट जारी कर दिया है।
- ड्राफ्ट के मुताबिक, अवैध वसूली करने वाले स्कूलों पर 5 लाख का जुर्माना लगाया जायेगा,
- इसके साथ ही पहली बार कानून तोड़ने पर 1 लाख का जुर्माना,
- दूसरी पर कानून तोड़ने पर 5 लाख रुपए का जुर्माना,
- 3 बार उल्लंघन करने पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी,
- इसके साथ ही 22 दिसम्बर तक जनता से अन्य सुझाव भी मांगे गए हैं।
ड्राफ्ट में अभिभावकों के लिए क्या है ख़ास:
- फीस कम करने के ड्राफ्ट के मुताबिक, अब स्कूल हर साल एडमिशन फीस नहीं ले सकते हैं।
- कक्षा 5 तक एक ही होगा कक्षा 6 से 8वीं तक एक ही होगा,
- 9 और 10वीं तक एक ही होगा,
- आवागमन में बिना सुविधा लिए फीस नही देना होगा,
- जितने भी ऐच्छिक शुल्क है,वह बिना सुविधा लिए नही देना होगा।
- डेवलपमेन्ट काम के लिए जो फीस ली जायेगी उससे उनका काम भी दिखाना होगा।
- स्कूल में जो दुकान ,या व्यापारिक गतिविधि ट्रस्ट के नाम् पर चलते थे, उसकी आय को विद्यालय की आय में ही शामिल होगी और उसी हिसाब से छात्रों की फीस काम करनी होगी।
व्यय क्या होंगे विद्यालय के:
- टीचर के भत्ते में वृद्धि कर सकते है लेकि बीच सत्र में फीस नही बढ़ा सकते।
- स्कूल को अपने आय-व्यय, शुल्क, आदि अपने आने वाले सत्र के लिए 31 से पहले ही हर साल वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
- डेवलपमेन्ट का फंड सिर्फ विद्यालय की पूरी आय की 15 प्रतिशत ही हो सकती है।
- फीस, सालाना की अनिवार्यता नहीं होगी, चाहे मासिक, तिमाही या छमाही या सालाना, स्वच्छिक होगा।
- किसी भी शुल्क वृध्दि या आय व्यय, का व्योरा शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले वेबसाइट में देना होगा।
- मंडलीय आयुक्त को अधिकार होगा जो किसी तरह के सत्र के दौरान किसी तरह के परिवाद को सुनेंगे।
- एक समिति बनाना होगा और आयुक्त समेत समिति निर्णय लेगी, और जरूरत पड़ने पर जुरमाना लगा सकेगी।
- 20 हज़ार से ज्यादा शुल्क लेने वाले स्कूल इस प्रस्तावित कानून के दायरे में आएंगे।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें
Divyang Dixit
Journalist, Listener, Mother nature's son, progressive rock lover, Pedestrian, Proud Vegan, व्यंग्यकार