एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य व्यवस्थायें बेहतर बनाने के लिए तमाम लाभकारी योजनाएं और एम्बुलेंस सेवा शुरू की हैं। ताकि ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवारों को बेहतर समय से इलाज मिल सके। लेकिन दूसरी तरफ लापरवाह स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टर सीएम के सपनों पर पानी फेर रहे हैं।

यह है पूरा मामला

  • ताजा मामला गोंडा जिले का है।
  • यहां एक धनौली गांव की रहने वाली नेहा नाम की गर्भवती महिला को लेकर उसके परिवार वाले प्रसव के लिए जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां का नजारा देख सभी के होश उड़ गए।
  • अस्पताल में ना तो कोई डॉक्टर मौजूद था ना कोई नर्स।
  • काफी देर बाद एक नर्स पहुंची तो उसकी देखरेख में प्रसव तो हो गया लेकिन कोई डॉक्टर झांकने तक नहीं आया।
  • महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टरों के ना होने से बच्चे के जन्म के एक घंटे में उसकी तबियत बिगड़ गयी।
  • उचित इलाज ना मिलने से नवजात की मौत हो गयी।

हर दिन होती है नवजातों की मौत

  • डॉक्टरों की लापरवाही से यह कोई पहला मामला नहीं है।
  • पीड़ित परिजनों का कहना था कि जिला महिला अस्पताल में एक सप्ताह में करीब आधा दर्जन बच्चों ने दुनिया में आने से पहले ही दम तोड़ दिया।
  • कुछ की दुनिया देखने से पहले ही मौत हो गई।
  • आये दिन डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चों की मौत हो रही है लेकिन जिम्मेदार आंखे बंद करके बैठे हैं।

पैसो के बिना नहीं होता कोई काम

  • मासूम के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल सिर्फ कहने के लिए नि:शुल्क है।
  • लेकिन बिना पैसों का कोई काम नहीं होता और यहां तक कि  जब भी नवजात बच्चे को आईसीयू में भर्ती करना होता है तब उस पर शुल्क लेने के बाद ही भर्ती किया जाता है।
  • जब भी ऑपरेशन से बच्चे होते हैं तो उसमें भी मोटा पैसा लिया जाता है।
  • डॉक्टरों पर परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जो गर्भवती महिलाएं पैसे नहीं दे पाती उनके प्रसव और उनके बच्चों पर डॉक्टर द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता इसके चलते अनेकों नवजातों की मौत हो जाती है।
  • इस संबंध में प्रभारी सीएमएस डॉ योगेंद्र सिंह ने बताया सारे आरोप निराधार हैं।
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