उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित निठारी कांड सीरीज ऑफ़ केस में सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, गौरतलब है कि, सीबीआई कोर्ट ने सुरेन्द्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषी पाया था। इसी क्रम में सोमवार 24 जुलाई को सीबीआई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को सजा(nithari killings decision) सुना दी है।

CBI कोर्ट ने नरपिशाचों को सुनाई मौत की सजा(nithari killings decision):

  • सूबे के बहुचर्चित निठारी कांड में सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है।
  • जिसके तहत निठारी कांड के दोनों आरोपियों को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है।
  • कोर्ट ने सुरेन्द्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर को सजा सुनाई है।
  • कोर्ट ने बीते शनिवार को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पिंकी सरकार मामले में आया फैसला:

  • निठारी हत्याकांड मामले में सोमवार को सीबीआई ने अपना फैसला सुना दिया है।
  • जिसके तहत दोनों आरोपियों को मौत की सजा सुना दी गयी है।
  • गौरतलब है कि, यह फैसला निठारी कांड के कई सारे मामलों में से एक में आया है।
  • जिसके चलते दोनों अभियुक्तों को पिंकी सरकार मामले में सजा हुई है।
  • कोर्ट ने यह माना की इन दोनों ने ही पिंकी के साथ रेप और हत्या की थी।

पूरा मामला(nithari killings decision):

  • 28 दिसम्बर 2006 को नोएडा पुलिस ने बहुचर्चित निठारी कांड का खुलासा किया था।
  • इस कांड में दो दर्जन महिलाओं, बच्चों और लड़कियों का अपहरण कर हत्या करने के बाद शवों के साथ बलात्कार कर शवों के टुकडे-टुकड़े कर सेक्टर 31 स्थित मोहिंदर सिंह पंढेर की डी-5 कोठी के पिछवाड़े एवं सामने से बह रहे नाले में फेंक दिया गया था।
  • पुलिस ने इस काण्ड के आरोप में  मोहिन्दर सिंह पंढेर एवं सुरेन्द्र कोली को गिरफ्तार किया था।
  • जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण, बलात्कार, षड्यंत्र एवं सबूत मिटाने का दोषी माना था।
  • दोषी पाए जाने के बाद  सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा भी सुनाई गई थी।
  • आपको बता दें कि दो साल पहले भी सुरेंद्र कोली को डासना जेल से मेरठ जेल लाया गया था।
  • उस वक्त कोली को फांसी की तैयारी भी पूरी हो गई थी।
  • लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी ।
  • लेकिन अब गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट की विशेष अदालत द्वारा छठे मामले में भी फांसी की सजा सुनाई गई है।
  • सजा के बाद ये अटकलें तेज हैं कि, उसे मेरठ के जिला कारागार में सूली पर लटकाया जा सकता है।
  • दरअसल गाजियाबाद में फांसी देने की सुविधा न होने के कारण मेरठ में दी जा सकती है फांसी।

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