देश में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी में प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि गांव में बसता है भारत। जिसके बाद से देश के सभी सांसदों को एक साल में एक गांव को गोद लेकर बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखकर विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की बात कही थी। जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जयापुर गांव से शुरुआत की थी।

विकास से कोसो दूर ये गांव:

देश के सभी सांसद अपने अपने क्षेत्रों से गांवो को चुनकर विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश में लगे है। उसी समय से गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के अधिकारियों द्वारा भी गोद लिया गया। कुछ अधिकारियों ने गांव को चिन्हित कर गोद तो ले लिया लेकिन गांव को गोद लेने के बाद एक बार भी गांव में दिखाई तक नहीं दिए।
कालनपुर गांव को नहीं मिल रही बुनियादी सुविधायें:
अधिकारी द्वारा गोद लिया गया था लेकिन यह गाँव विकास से कोसों दूर है. यहां पर बारिश के दिनों में ग्रामीणों को कीचड़ से होकर गुजरना  है। गांव में जाने का मुख्य सडक नहर के बगल से हो कर गुजरता है। गांव में प्राथमिक विद्‍यालय है लेकिन बाढ़ में है ।
जो आबादी से दूर है और विद्‍यालय कि बाउंड्री नहीं है। यहां छुट्टा पशु विद्यालय में विचरते कभी भी देखे जा सकते है।  वही गांव में करीब 23 हैंडपंप लगे है जिसमें से कई हैंडपंप खराब है। गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी निकासी की है। गांव में बने घरों के गंदा पानी गलियों में बहता है। आंगनबाडी केन्द्र‚ पंचायत भवन‚ खेल का मैदान‚ खलिहान आदि नही है। जिससे लोगो को भारी परेशानी का समाना करना पड़ता है.

गाँव की आबादी लगभग 3500:

गाजीपुर के जमानिया विधानसभा  के कालनपुर गांव में विकास को गति देने के लिए अधिशासी अभियंता लघु सिचाई (डाल नहर) के संजीव प्रताप सिंह ने गोद लिया है इसके बाद उन्होंने विभिन्न विभागों को कई प्रस्ताव भी भेजें लेकिन अब तक विभागों द्वारा कोई कार्य गांव में नहीं हुआ है। इस गांव की कुल आबादी लगभग 3500 है और करीब 300 घर पांच अलग अलग बस्तियों में बसा है।
स्वच्छता अभियान के तहत गांव में कई लोगों को शौचालय मुहैया कराए गए है. लेकिन कुछ ग्रामीणो को यदि छोड़ दिया जाए तो इन शौचालयों का प्रयोग कोई नहीं कर रहा है और शौचालय में भूसा, पुआल आदि रखे जा रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व आंधी में गांव के एक पूरवे में जा रही बिजली के खंभे को तोड़ दिया था। यहाँ विद्युत विभाग की भी उदासीनता बनी हुई है. कुल मिलाकर यूं कहा जाए कि गांव विकास की दौड़ में या कोसों दूर है और आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए यह गांव जद्दोजहद कर रहा है।

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