प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद देश के हर गाँव में बिजली पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया था. इसके लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारों की जिम्मेदारी भी बढ़ गयी. पर पीएम मोदी के इस सपने को राज्य सरकारें, मंत्री और अधिकारी किस हद्द कर पूरा करने में सफल है गौरतलब बात तो यह है. 

PM ने हर गाँव में बिजली पहुँचने की दी जानकारी: 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद भारत में बिजली समस्या को लेकर दिल्ली के लालकिले से एलान किया था कि 11 मई 2018 तक देश के हर गाँव तक बिजली पहुँचाएंगे. प्रधानमंत्री ने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया हैं. उन्होंने इस बात की जानकारी देते हुए ट्वीट किया , ” 28 अप्रैल 2018 को भारत की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। कल, हमने एक वादा पूरा किया, जिससे कई भारतीयों का जीवन हमेशा के लिए बदल जायेगा. मुझे खुशी है कि भारत के हर गांव में अब बिजली की पहुंच है।”

प्रधानमंत्री ने अपने वादे को पूरा किया. सबसे जरुरी बात कि अब देश का कोई भी गाँव अँधेरे में नहीं रहेगा. पर क्या प्रधानमन्त्री का यह दावा सही है.? क्या देश का हर गाँव सच में अब जगमगायेंगा ? क्या अब हर गाँव, हर ग्रामीण को बिजली सुविधा मिल गयी है?

आजादी के बाद से अब तक नही बिजली:

इस सवाल का जवाब एक गाँव के हालत से साफ़ हो जाता है. हम आपको एक ऐसे गांव के हालातों से रूबरू करवा रहे हैं, जहाँ आज़ादी के इतने बरस बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. इस गांव में कई लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र पचास साल से ज्यादा की है, लेकिन इन लोगों ने आज तक टेलीविजन का मुंह तक नहीं देखा है.

ऐसा नहीं है कि गांव में विकास नहीं हुआ है. विकास तो हुआ है, लेकिन बिजली के इंतजार में लोग आस लगाए बैठे हैं कि कब उनके घर रोशनी से जगमगा जाए.

ये गाँव है उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में. महाराजगंज के फरेंदा विधानसभा का बारातगाड़ा गांव, जिसकी आबादी लगभग 3000 है. इस गांव के लोग आजादी से आज तक बिजली के लिए तरस रहे हैं. सत्ता में कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन इस गांव के लोगों की किस्मत नहीं बदली. आज भी ये लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.

इस गांव में विकास कार्य हुए. गांव में खड़ंजा है, साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था है, प्राथमिक स्कूल हैं, लेकिन बिजली नहीं है. गांव में बिजली के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि वो हर चुनाव में ठगे जाते हैं. नेता चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं और यह कहकर चले जाते हैं कि जीतने के बाद उनके गांव में बिजली की सुविधा होगी, लेकिन नेता चुनाव जीतने के बाद फिर गांव की तरफ मुड़कर नहीं देखते.

21वीं शताब्दी में भी लालटेन में पढ़ते है बच्चे:

इस गांव के आज भी बच्चे लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते हैं. इस गाँव के हर घर में रात के वक्त लालटेन की हल्की रोशनी नजर आएगी. गांव के लोगों का कहना है कि इस गांव के युवकों की शादी भी नहीं हो पा रही है. गांव में कई ऐसे नौजवान हैं, जिनकी शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि गांव में बिजली की सुविधा नहीं है.

गांव के प्रधान दिनेश यादव कहते हैं कि उन्होंने गांव में बिजली लाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. गांव में लोग घर में रोशनी करने के लिए सोलर लाइट के साथ मिट्टी के तेल का प्रयोग करते हैं. पढ़ने वाले बच्चे लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते हैं. गौरतलब बात है  कि पिछले डीएम साहब इस गांव को गोद भी ले चुके हैं, लेकिन बिजली के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है. हालांकि वर्तमान जिलाधिकारी ने वादा किया है कि जल्द से जल्द गांव में बिजली लाई जाएगी.

उर्जामंत्री अपने ही प्रदेश के गाँव की हालत से अनजान: 

जहाँ एक ओर पीएम मोदी के इस लक्ष्य के पूरा होने पर मंत्रीगण गदगद है, वहीं खुद अपने ही राज्य की स्थिति से अनजान भी. यूपी के उर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने पीएम मोदी के ट्वीट के बाद बिजली पूर्ति पर एक ट्वीट किया.

यूपी के उर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा के ट्वीट से यह स्पष्ट है कि या तो उन्हें महाराजगंज के इस गाँव के विषय में जानकारी नहीं, या प्रधानमंत्री को गलत जानकारी देकर उर्जामंत्री अनजान बने रहना चाहते है.

एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीट कर कहते हैं कि देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंच चुकी है. वहीं ऐसे भी गाँव हैं जहाँ अभी बिजली उपलब्ध नहीं है.

बहरहाल पीएम मोदी के पूर्व निर्धारित समयावधि यानि 11 मई 2018 तक भी अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिल कर देश के हर गाँव में बिजली पहुँचाने में सक्षम हो जाये तो इसे पीएम मोदी का वादा पूरा हो जायेगा. इसके अलावा 24 घंटे बिजली देने का जो नया लक्ष्य मंत्री निर्धारित कर रहे हैं, वह तो बाद की बात है.

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