यह तो लगभग सभी को पता है कि भारत को (Aadhar card) आजादी इंडियन फ्रीडम एक्ट 1947 बिल से प्राप्त हुयी है। जो ब्रिटेन की पार्लियामेंट में पास हुआ था। शायद यही कानून भारत सरकार को नागरिकता का प्रमाण जारी न करने के लिए बाध्य किये हो। क्योंकि आज भी हमारी संसद में दो एंग्लो इंडियन संसद होते हैं और इसीलिए कामनवेल्थ देश यानि सभी ब्रिटेन के गुलाम रहे देश एक दूसरे के देश में राजदूत नहीं रख सकते बल्कि हाई कमीशन नियुक्त करते हैं।
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आधार कार्ड में नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं
- उच्च न्यायलय के वकील अमित सचान को आरटीआई का जवाब देते हुए भारत सरकार नें बताया कि आधार कार्ड में लिखते हैं नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है।
- तो फिर नागरिकता का प्रमाण है क्या? सरकार की मान्यता है कि जो भारत में पैदा हो जायेगा वो नागरिक माना जायेगा।
- पासपोर्ट, वोटरकार्ड, आधारकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि सिर्फ पहचान हेतु हैं।
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क्या अस्पताल में प्रसव कराने वाले भारत के नागरिक?
- आरटीआई से जवाब मांगनें वाले उच्च न्यायलय के वकील अमित सचान नें कहा कि ऐसे में कई गंभीर सवाल ये है कि देश के तटवर्ती पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश आदि जहां से भारत आना बेहद आसान होता है।
- उनके नागरिक आकर अस्पताल में प्रसव कराते हैं वो भी भारत के नागरिक हुए।
- दो दशक पहले तक जन्म का न अस्पताल से कागज मिलता था न जन्म रजिस्टर की व्यवस्था थी फिर तत्कालीन जन्मे लोगों का नागरिकता प्रमाण कोई नहीं है।
- जैसे एक मामला अभी सामने आया कि दो दशक पहले भारतीय बौध अनुयायी बैंकाक गए थे उनका पासपोर्ट खो गया पर वोटर कार्ड होने के बावजूद बैंकाक नें नागरिकता का प्रमाण नहीं माना और पिछले दो दशक से बैंकाक के जेल में हैं।
- कई घटनाएं हुई जिसमें आतंकवादी और स्मगलर भारतीय पासपोर्ट बनवा लेते हैं।
- इसीलिए जनसंख्या मालूम नहीं सिर्फ अनुमानित है।
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सरकार नागरिकता प्रमाणित नहीं करना चाहती
- चौंकानें वाला तथ्य ये है कि न सिर्फ भारत अपितु पकिस्तान सरकार नागरिकता प्रमाणित नहीं करना चाहती।
- क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख़ुफ़िया जासूसों और आतंकवादियों के पास से अगर नागरिकता का प्रमाण बरामद होगा।
- तो सरकारें उसे अपना नागरिक मानने से इनकार नहीं कर सकेंगी जो आज आसानी से करती हैं।
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बिना वीजा के रह रहे बंगलादेशी नागरिक
- नागरिकता का परिणाम न जारी होनें का दुष्परिणाम ये है कि लाखों की तादात में नेपाली और बंगलादेशी नागरिक भारत में तमाम पहचान पत्र आसानी से पाते हैं और बिना वीजा के रह रहे हैं।
- जिससे न सिर्फ अराजकता और अपराध बढ़ रहा है।
- अपितु उनके किसी राष्ट्रप्रेम के बिना निवास करनें से उपजी आर्थिक व सामजिक समस्या भी दिन ब दिन बढ़ रही है।
- चुनाव में संरक्षण करनें वाले के सुझाये पक्ष में वोट डालकर चुनावी प्रक्रिया भी दूषित करते हैं।
- अक्सर समाचार पत्र के माध्यम से अक्सर जानकारी होती है कि सरकारी सेवाओं में भी कार्यरत हैं।
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मोदी का भाषण खोखला
- विदित हो कि 2014 के आम चुनाव में हमेशा नरेंद्र मोदी भाषण में बोलते थे कि मैं इधर प्रधानमंत्री की शपथ लूंगा उधर बंगलादेशी बोरिया बिस्तर बांध लें।
- क्यूंकि अवैध रहनें वालों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
- पर शपथ लेकर सरकार बनें तीन साल हुआ पर देश से खदेड़ना तो दूर नागरिकता का प्रमाण तक नहीं देते निकालेंगे किस आधार पर, किसे और कैसे।
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संविधान के अनुच्छेद 84 जिक्र
- हाईकोर्ट अधिवक्ता अमित सचान नें बताया कि संविधान के अनुच्छेद 84 में स्पष्ट कहा गया है कि चुनाव हेतु प्रत्याशी बनने के लिए देश का नागरिक और वोटर लिस्ट में नाम होना चाहिये।
- इस आधार से तो आज़ादी से अब तक हमारे सांसद विधायक प्रधानमन्त्री आदि गैर सवैधानिक होंगे।
- क्यूंकि (Aadhar card) सवाल खड़ा है कि नागरिकता का प्रत्याशियों नें प्रमाण क्या दिया था।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.