यूपी की सरकार दागी आईएएस सत्येंद्र कुमार सिंह पर मेहरबान है. शायद यही कारण है कि इस भाजपा सरकार में इस घोटाले के आरोपी अफसर के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हुई है. आईएएस सत्येंद्र सिंह एनआरएचएम घोटाले के भी आरोपी हैं. वे अब भी एक बड़े पद पर तैनात हैं. आरोप है कि सत्येंद्र कुमार सिंह जब एनआरएचएम में जीएम हुआ करते थे तो उन्होंने काफी खेल किए. ये भी आरोप है कि एसके सिंह के संरक्षण में एनआरएचएम घोटाला बहुत फैला फुला जिसके चलते कुशवाहा आज भी जेल में है या फिर उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. प्रदीप शुक्ल तत्कालीन प्रमुख सचिव का भी यही हाल है लेकिन सारे घोटाले में अहम् भूमिका निभाने वाले एसके सिंह वादा माफ़ गवाह बन गए.

तो इसलिए उठ रहे हैं सवाल

सवाल खड़े होते हैं की क्या वादा  माफ़ गवाह बन जाने भर से किसी के गुनाह माफ़ हो जाते हैं क्या.दाग धूल जाते हैं  है क्या? आरोपी एसके सिंह मुल्ज़िम से वादा माफ़ गवाह कैसे बन गए ? ये कहानी कोई नहीं समझ पाया। क्या सीबीआई  सिंह की भूमिका के मामले खोल सकती है ? एनआरएचएम में तैनाती के दौरान बेहद गंभीर किस्म के आरोप रहे हैं. इसी कारण उन्हें आरोपी बनाया गया. सीबीआई जांच के दौरान सत्येंद्र सरकारी गवाह बन गए. इसी कारण उनके खिलाफ चलने वाली सभी जांच ठंढे बस्ते में डाल दी गई. पर क्या सरकारी गवाह बनने से गुनाह माफ़ हो जाते हैं?

आयकर विभाग के पास कच्चा चिट्ठा मौजूद

आयकर विभाग के पास भी इस दागी अफसर की नामी बेनामी संपत्ति की पूरी डिटेल है लेकिन कोई अदृश्य ताकत इस अफसर पर हाथ डालने से बार-बार रोकती है. एक दफे सत्येन्द्र कुमार सिंह के छह शहरों में स्थित ठिकानों पर आईटी अफसरों ने छापा मारा था, तब लाखों रुपया कैश और अरबों की संपत्ति मिली थी. विभाग के पास सूचना थी कि सत्येंद्र के पास ठीकठाक काला धन है. आयकर अफसरों की 22 अलग-अलग टीमों ने लखनऊ, मेरठ, बागपत, मैनपुरी, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली आदि में सत्येंद्र के सभी ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे.

कब होगी कार्यवाई?

वैसे तो योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की बात करती है लेकिन सत्येंद्र के मामले में साफ दिख रहा है कि इनको कहीं न कहीं बचाया जा रहा है. आईएएस सत्येंद्र सिंह पशुधन विभाग में विशेष सचिव के पद पर जमे हुए है. देखना है कि योगी सरकार में भी इस अफसर का बाल बांका होता है या पहले जैसा जलवा कायम रहेगा.
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