बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद में अवरी बेगम ने 90 साल संघर्ष जारी रखा. जिंदगी को जिंदादिली से जीने की चाहत भी थी, मगर जैसे ही बुढ़ापे की दहलीज पर कदम रखा तो किस्मत ही रूठ गई. कुछ साल पहले अवरी बेगम का मानसिक संतुलन बिगड़ गया. उल्टी सीधी हरकतों से तंग आकर परिजनों ने उसके पैरों को जंजीरों से जकड़ दिया। यह सिला यहीं खत्म नहीं हुआ. बेटा और बहु ने अवरी बेगम को मारना भी शुरू कर दिया और रोटी भी नहीं दी जाती थी बेटा और बहु की प्रताड़ना से डरी हुई अवरी बेगम कुछ भी बोल नहीं पायी.

बेटे ने अपनी माँ को किया जंजीरो में कैद

  • मेरठ के लोहियानगर काशीराम आवासीय कालोनी निवासी 90 साल की अवरी बेगम के पैर बेडिय़ों से जकड़े हैं.
  • बीते कुछ साल से जंजीरो में कैद अवरी की जिंदगी बोझ बन गई.
  • बहु बेटा पहले तो अवरी की देखभाल करते थे.
  • मगर पांच माह पूर्व वह लाइलाज बीमारी का शिकार हुई तो उसने भी खाट पकड़ ली.
  • जंजीरो की क़ैद में नारकीय हालात में जीने को मजबूर अवरी बेगम का वारिश उसका बेटा ही है जो अपनी माँ को क़ैद मैं रखता हैं.
  • बेटे से बात करनी चाही तो तबियत ख़राब का बहाना बनाकर मिलने से मना कर दिया.
  • रिश्तेदारों का कहना है कि बेटे और बहु ने अवरी बेगम को जंजीरो मैं क़ैद कर उसको काफी प्रताड़ित किया हैं.
  • उसको खाने के लिए रोटी भी नहीं दी जाती और रात को 12 बजे तक उसे इस टेम्पू में बाँध कर रखा जाता हैं.
  • जब उनसे ऐसा करने को मना किया जाता हैं तो वो अवरी बेगम को मानसिक विक्षिप्त बोलकर अपना बचाव करते नज़र आते हैं.
  • जबकि अवरी बेगम के पति किसी सरकारी विभाग मैं कार्यरत थे, जिनकी 10000 पेंशन आती हैं लेकिन फिर भी अवरी बेगम को ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं.

पुलिस ने कराया आजाद:

  • पड़ोस के लोगों ने बताया की अवरी बेगम कि एक अलग पहचान थी.
  • समाज के लोग उन्हें काफी सम्मान देते थे लेकिन बुढ़ापा आया तो जंजीरो में क़ैद होकर रह गई.
  • अवरी बेगम का बेटा मुमताज़ कलक्ट्रेट में किसी वकील के यहाँ मुंशी माँ के इलाज के लिए भी वो तैयार नहीं हैं.
  • मुमताज़ की पत्नी यामीन भी सुबह होते ही अवरी बेगम को घर के बहार खड़े टैम्पू में जंजीरो से बाँध देती हैं और देर रात तक अवरी बेगम को घर के बहार जंजीरो से बाँध कर ही रखा जाता हैं.
  • अवरी बेगम की बूढ़ी आंखे सिर्फ अब इसी आस में खुली हुई हैं कि काश, कोई मददगार मिल जाए जिंदगी के आखिर पड़ाव पर उपचार के अभाव में गिन-गिन के दिन गुजार रही अवरी बेगम को मददगार की दरकार हैं.
  • मीडिया के पहुचने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुँचकर बूढ़ी माँ जंजीरों से आज़ाद करा दिया.
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