एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपना एक साल पूरा होने पर जश्न मना रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने पार्टी से बगावत कर ली है। राज्यसभा चुनाव से पहले बीजेपी में बगावत होने से पार्टी के नेता हैरान हो गए हैं।

अमित शाह से बात करने पर अड़े राजभर

प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से अक्सर ही योगी आदित्यनाथ सरकार को काफी असहज करती रहती है। माना जा रहा है कि 23 मार्च को होने वाले राज्यसभा के मतदान में एसबीएसपी ही भाजपा के नौवें प्रत्याशी का चुनाव बिगड़ सकता है। अनेदखी को लेकर नाराज़ ओपी राजभर ने अमित शाह से की बातचीत की मांग की है। उन्होंने कहा कि अमित शाह से बात किए बैगर हमारा फैसला नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि अमित शाह से मुलाकात नहीं होने की स्थिति में राज्यसभा में वह बीजेपी को समर्थन नहीं देंगे। उनके पास चार विधायक हैं और चारों वोट नहीं डालेंगे।

विधायक गरीबों की बात नहीं कर रहे, कर रहे तानाशाही

कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि- ‘ मैं एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन बीजेपी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है। मैंने अपनी चिंता कई बार जताई है लेकिन ये लोग 325 सीटें लेकर पागल होकर घूम रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का सारा ध्यान सिर्फ मंदिर पर न कि गरीबों के कल्याण पर जिन्होंने वोट देकर सत्ता दी है। सरकार में बातें बहुत होती हैं लेकिन जमीनी तौर पर बहुत कम काम हुआ है। उनका कहना है कि सरकार के मंत्री और विधायक गरीबों की बात नहीं कर रहे हैं। अफसर तानाशाही रवैये से काम कर रहे हैं। उपचुनाव में हमसे कोई सलाह नहीं ली गई है। सरकार हमारी कोई बात नहीं सुनती है। पूर्वांचल के राजनीति के जानकार कहते हैं कि राजभर की नाराजगी इस बात से औऱ बढ़ी क्योंकि बीजेपी ने सकलदीप राजभर को राज्यसभा का टिकट दिया है।

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