आरक्षण में बंटवारा नहीं – तो भाजपा गई: ओमप्रकाश राजभर

लखनऊ।  सुभासपा ने लखनऊ में राज्य कार्यकारिणी तो अपना दल (एस) ने एक माल एवेन्यू स्थित बंगले में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी। इन दोनों बैठकों से एक तरह के सुर उठे। यह फ्रंट अनुप्रिया की मां और अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल का है। कृष्णा पटेल अपनी बड़ी बेटी पल्लवी पटेल और सांसद कुंवर हरिवंश सिंह को एक मंच पर लेकर मोदी-योगी सरकार की रविवार को सराहना कर चुकी हैं।

  • उन्होंने संकेत दे दिया कि अगर सम्मानजनक सीटें मिली तो वह भाजपा से समझौता कर लेंगी।
  • भाजपा ने 2014 में अविभाजित अपना दल को दो सीटें समझौते में दी थी।
  • जिसमें मीरजापुर से अनुप्रिया पटेल और प्रतापगढ़ से कुंवर हरिवंश सिंह जीते थे।
कृष्णा पटेल की भाजपा से बढ़ती नजदीकियों की वजह से भी अनुप्रिया की बढ़ी नाराजगी

अपना दल में दो फाड़ के बाद मां-बेटी का अलग-अलग दल हो गया है। कुंवर हरिवंश सिंह की मध्यस्थता से कृष्णा पटेल भाजपा के संपर्क में हैं। अंदेशा यही है कि कृष्णा पटेल की भाजपा से बढ़ती नजदीकियों की वजह से भी अनुप्रिया की नाराजगी बढ़ी है।  राजभर की बैठक में यह नारा गूंजा आरक्षण में बंटवारा नहीं – तो भाजपा गई और अपना दल ने जिलों में डीएम और एसपी में एक पद पिछड़ों और दलितों को देने तथा यही व्यवस्था तहसील से लेकर थानों तक लागू करने की मांग उठाई। भाजपा के पास दोनों तरफ विकल्प खुले हैं। इसलिए वह दबाव से दूर है।

  • हालांकि अभी दोनों दल गठबंधन में बने रहने की बात कर रहे हैं।
  • लेकिन, इसे लोकसभा चुनाव से पहले का दबाव माना जा रहा है।
  • अपने तीखे तेवर की वजह से दोनों दल भाजपा को खटकने लगे हैं।
अनुप्रिया पटेल और दल के अध्यक्ष आशीष पटेल का बेस है वोट कुर्मी

दरअसल, दोनों दलों की मांग पिछड़ों के बीच वोट बैंक सहेजने की है लेकिन, भाजपा की दुविधा यह है कि अगर 27 फीसद आरक्षण में बंटवारा किया तो उसका सर्वाधिक लाभ उठाने वाली कुर्मी और यादव जातियां नाराज होंगी। मोदी सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) की संयोजक अनुप्रिया पटेल और दल के अध्यक्ष आशीष पटेल का बेस वोट कुर्मी है। उनका तर्क यह है कि बिना जातियों की गणना किये आरक्षण में कैसे बंटवारा होगा। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर दबे-कुचले पिछड़ों के हक की आवाज उठा रहे हैं।

  • इस विरोधाभास के बीच राजभर कहते हैं कि अपना दल (एस) को आज हक की बात याद आ रही है।
  • जबकि मैं 21 माह से आवाज उठा रहा हूं।
  • हालांकि अनुप्रिया के मौजूदा प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने उनको एक मंच पर आने का न्यौता भी दे दिया है।

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