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उत्तर प्रदेश का सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी अब खुले तौर पर दो टुकड़ों में बंट गयी है। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव अब दो खेमे बन गए है जिनमें से अब पार्टी के मौजूदा सदस्यों को अपना खेमा चुनना है। समाजवादी पार्टी के सदस्यों के लिए यह समय बिलकुल अच्छा न हो मगर इस घटनाक्रम से सबसे ज्यादा खुश विपक्षी दल के नेता है जो इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए है। आइये आपको बताते है कि अखिलेश के नयी पार्टी बनाने पर किन विपक्षी दलों को फायदा होगा।

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इन दलों को हो रहा फायदा:

  • समाजवादी पार्टी जहाँ अपने गृहयुद्ध में लगातार लगी हुई है वहीं मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी ने पिछड़ा वर्ग सम्मलेन का आयोजन कर दिया है।
  • बसपा जानती है कि इस गृहयुद्ध से सपा को नुकसान होगा और वह इसी फिराक में लगी हुई है कि इसी बहाने पिछड़ों को अपने पाले में कर लिया जाए।
  • साथ ही मायावती लगातार यह बताने में लगी हुई है कि बसपा ही मुसलामानों की हितैषी पार्टी है।
  • उन्हें पूरा यकीन है कि मुसलमान इस बार सपा को छोड़कर बसपा की तरफ अपना रूख अख्तियार कर लेंगे।
  • इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी भी लगातार यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को अपनी तरफ करने में लगी हुई है।
  • भाजपा को पूरा यकीन है कि इस समाजवादी दंगल से पिछड़ा वर्ग के लोग उसकी तरफ आ जाएँगे।

कांग्रेस की है पूरे घटनाक्रम पर नजर :

  • हालाँकि कांग्रेस लगातार इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाये हुए है।
  • कांग्रेस द्वारा पहले ही सपा से गठबंधन के लिए बात उठ चुकी है।
  • यदि अखिलेश नयी पार्टी बनाकर चुनाव में उतारते है तो कांग्रेस उनका समर्थन करेगी।
  • साथ ही कई अन्य निर्दलीय विधायक भी अखिलेश यादव को अपना समर्थन दे सकते है।

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