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अंदाज-ए-लखनऊ फाउंडेशन के तत्वाधान में ‘जज्बा’ मुशायरे का आयोजन

Organizing Musayera under the aegis of Andaaz-e-Lucknow Foundation

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अंदाज-ए-लखनऊ फाउण्डेशन के तत्वाधान में जज्बा नाम से एक मुशायरा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें राहत इन्दौरी के साथ डा. कुमार विश्वास, डा. शबीना अदीब और डा. तारिक कमर मौजूद रहेंगे। राजधानी लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाट्य एकेडमी में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया है। Uttarpradesh.org इस मुशायरे का मीडिया पार्टनर है. वहीँ इस प्रोग्राम के चीफ गेस्ट होंगे डिप्टी CM दिनेश शर्मा.

अपनी गजलों एवं नगमों से शमां को आफताब करने में मशहूर राहत इन्दौरी को कौन नहीं सुनना चाहता। उनके तराने हर किसी को आहें भरने पर मजबूर कर देती है। तो वहीं कुमार विश्वास के गजलों पर तो पूरी युवा पीढ़ी फिदा है। विश्वास का खास गीत जिससे वह सबसे ज्यादा लोकप्रियता को प्राप्त किया। ‘कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है‘ इन पंक्तियों ने युवाओं के दिलों में एक तराना छेड़ दिया। कुमार विष्वास को देख दर्शक दीर्घा में एक अलग ही छटा बिखेरती है। जिसे सुनकर युवाओं के दिलों में तराने झूमने लगते हैं।

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कविताओं के लिए ही नहीं राजनीतिक प्रतिक्रिया के लिए मशहूर हैं कुमार विश्वास 

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है!! मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है! ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है!! यह कविता किसने नहीं सुनी?  कुमार विश्वास सिर्फ अपनी कविताओं के लिए नहीं बल्कि कुछ समय से राजनीति में उथल-पुथल के लिए भी चर्चा में हैं।

राहत इंदौरी का ही जलवा है

राहत इंदौरी का ही जलवा है कि उनकी शायरी जितनी बेहतरीन होती है, पढ़ने का अंदाज़ भी उनका उतना ही बेहतरीन होता है। एक गज़ल में वे कहते हैं रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है, चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है। राहत इन्दौरी ने मुसयारा करने के साथ साथ फ़िल्मी गीत भी लिखते हैं। उनके लिखे हुए कई गीत मशहूर है।

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वाहवाही लूटती डा. शबीना अदीब

डा. शबीना अदीब ने जहाँ जाती है वह दर्शकों की वाहवाही लूटती हैं। उनकी गजल ‘खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फत नयी-नयी है’। ‘हमें बना के तुम अपनी चाहत, खुशी को दिल के करीब कर लो, तुम्हें हम अपना नसीब कर लें, हमें तुम अपना नसीब कर लो। गरीब लोगों की उम्र भर की गरीबी मिट जाए ए अमिरों, जरा सा खुद को गरीब कर लो’ लोगों को दाद देने को मजबूर कर देतीं हैं। वहीँ उनकी एक और ग़ज़ल मशहूर है। ‘जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नरम अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है कि तुम्हारी दौलत नयी-नयी है’,

तारिक कमर ने का गज़ल आसमां तय करो हौंसला देखकर, पांव फैलाओ अपनी रिदा देखकर काफी मशहूर है।

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