आज के दौर में विकास की परिभाषा बाजार बन गई है। बाजारवाद के इस ग्लोबल मनोभाव में हमने जीवन मूल्यों को किनारे कर दिया है। बाजार के आगे हमने अपने भारतीय मूल्यों को महत्व देना बंद कर दिया है। इस अंधी दौड़ में विकास का पैमाना विनाश को न्यौता दे रहा है। विनाश की इस रूपरेखा में परिवार, समाज, रिश्ते, संस्कृति, लोक कल्याण, लोक मंगल, मन, क्रम, वचन मृतप्रायः हो रहे हैं। ऐसे में यदि हमको भारत को विश्व गुरू बनाना है तो बाजार का रास्ता त्यागकर समाज और परिवार का रास्ता अपनाना जरूरी होगा। यह उद्गार भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय में आयोजित पं दीन दयाल उपाध्याय की 50 वीं पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में लोक भारती के राष्ट्रीय महासचिव बृजेन्द्र पाल सिंह ने व्यक्त किया।

पं दीन दयाल उपाध्याय की 50वीं पुण्य तिथि पर कमल ज्योति के त्रिदिवसीय कार्यक्रम में दूसरे दिन बोलते हुए श्री बृजेन्द्र पाल ने कहा कि समाज के हर आदमी को विकास की सीढ़ी तक लाने के लिए समाज के उच्च तबके को झुकना होगा तभी भारत के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की जीवन रेखा को हम मजबूत बना सकते हैं। मनुष्य की जितनी भौतिक आवश्यकताएं हैं उनकी पूर्ति के महत्व को भारतीय चिंतन ने स्वीकार किया है लेकिन बाजार की जीडीपी में फंसकर उसका महत्व गौण हो गया है। जबकि भारतीय मनीषियों ने भौतिक सत्ता के इस महत्व को सर्वस्व नहीं माना है। मनुष्य के शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा की आवश्यकता पूर्ति के लिए उसी इच्छाओं, कामनाओं की संतुष्टि के लिए, उसके सर्वांगीण विकास के लिए भारतीय संस्कृति में जिस पुरूषार्थ की कामना की गई है उनसे ही समाज व्यवस्थित होकर आगे बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम ने व्यक्ति के जीवन को टुकड़ों में बांटकर विचार किया है जबकि भारतीय चिंतन ने व्यक्ति के जीवन की पूर्णता के साथ संतुलित विचार किया है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय कहते हैं कि हमारे चिंतन में शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा सभी का विकास तय किया गया है किन्तु यह ध्यान रखा गया है कि एक भूख को मिटाने के प्रयत्न में दूसरी भूख न पैदा हो जाए। आज उनके इसी चिंतन को हमारे समाज में उतारने की आवश्कता है। वे चाहते थे कि गांव विकास का केन्द्र बिन्दु बने। इसके लिए सहकारी संस्थाओं की स्थापना करके उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की बात उन्होंने कही थी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाजपा के महामंत्री विद्यासागर सोनकर ने कहा कि 11 फरवरी 1968 के दिन काल की उस क्रूर गति को याद दिला देता है जब भारत के एक महामनीषी का प्रयाण कर दिया गया था। वह ट्रेन आज भी उस गति से चल रही है जिससे उन दिन पंडित मुगलसराय होकर बिहार जा रहे थे लेकिन कुछ लोगों को उनका भारतीय समाज को उंचा उठाने में लगे रहना स्वीकार नहीं था। लिहाजा उस महामानव को असमय काल के गाल में भेजने का काम किया गया। पर वे अमर हैं हमारे दिलों में। श्री सोनकर ने कहा कि हमको गर्व होता है कि उनकी सोच के अनुसार ही आज के दौर में भारत में भाजपा की 19 राज्य सरकारें और केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार कार्य कर रही है। हमारी सरकार का सबका साथ सबका विकास पंडित जी की अंतिम आदमी की कल्पना तक जाती है। हर गरीब को चूल्हा, हर गरीब को बिजली देना हमारी कल्या्णकारी राज्यनिष्ठ सत्ता का अप्रतिम जीवन दर्शन है। किसानों की आय दुगनी करने का काम आज हमारी सरकार करने की ओर बढ़ चुकी है। इससे समाज के इस तबके का जीवन स्तर ऊपर उठेगा तो भारत का विकास स्वयं होने लगेगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि भाजपा के मीडिया प्रभारी हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि, पंडित दीन दयाल जी कार्यकर्ताओं के कार्यकर्ता थे। उनका जीवन दर्शन एक सामान्य सा ज्ञान है। लेकिन वह दर्शन सामान्य लोगों के विचारों का दर्शन है। उनकी सोच समाज के अंतिम आदमी तक जाती है। उस समय ऐसी कल्पना केवल वैसा जनपुरूष ही कर सकता था। उनकी सोच उनके विशाल ह्दय का परिचायक है। पंडित जी के सामाजिक आर्थिक राजनीतिक चिंतन का दौर समाज के अंतिम व्यक्ति तक का चिंतन है। उनके उस समय पर दिए गए विचार को साकार करने के लिए भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार निरंतर प्रयासरत है। उनके दर्शन का पहला सूत्र ही है संस्कृति के प्रति निष्ठा। वे कहते थे कि हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता है। केवल माता नहीं। माता शब्द को हटा दिजिए तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा बन जाता है। उनकी भारत के प्रति अभिव्यंक्ति मौलिक थी।

कमल ज्योति में आयोजित इस श्रृंखला के दूसरे दिन सेमीनार का संचालन कमल ज्योति के प्रबंध संपादक राजकुमार ने किया। अतिथियों का आभार ज्ञापन प्रदेश के मुख्यालय प्रभारी श्री भारत दीक्षित ने किया। इस अवसर पर लक्ष्मण चैधरी, अतुल अवस्थी, बब्बन सिंह रघुवंशी नारद सिंह, अभय प्रताप सिंह, अर्पित पांडेय, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, सुनील भराला, अमर सिंह श्री चन्द्र चैबे, धनंजय शुक्ला, अभिनव अस्थाना, सुनील भडाना, ओम दीक्षित, रोहन मिश्र, विकास सिंह आदि मौजूद रहे।

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