चीनी मिलों  ने पेराई सत्र के आरम्भ में गन्ना मूल्यों के भुगतान की रफ्तार में तेजी दिखायी थी। लेकिन अब वह धीमी पड़ गयी है। जिसका असर बकाया भुगतान में दिखने लगा है। वहीं अभी तक चालू पेराई सत्र के 1922 करोंड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया हो गया है।

जबकि पिछले साल के 483 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भी अभी तक भुगतान नहीं हो सका है। प्रदेश में 118 चीनी मिलों में गन्ना पेराई चल रही है। इन मिलों ने अब तक 4546.37 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर 464.56 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है। बजाज, सिंभावली, मोदी जैसे ग्रुप भुगतान में पिछड़े हुए हैं। ये 14 दिन में गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

बकाया राशि से किसाना बेहाल

चीनी मिलों ने अभी तक कुल 14456.37 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है। इसके विपरीत 19 जनवरी तक कुल 9753.34 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पिछले साल 19 जनवरी तक औसत रिकवरी 9.89 फीसदी थी जबकि इस बार चीनी का परता 10.22 प्रतिशत है। इसका मतलब पिछले साल की तुलना में इस वर्ष एक क्विंटल गन्ने में 330 ग्राम चीनी ज्यादा बन रही है।

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सर्वाधिक 10.41 फीसदी रिकवरी मध्य क्षेत्र की है। पश्चिमी यूपी में एक क्विंटल गन्ने में 10.11 किलो चीनी और पूर्वी यूपी में 9.94 किलो चीनी बन रही है।

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गन्ना आयुक्त का टोल फ्री नंबर पर कर सकते है शिकायत

लखनऊ प्रमुख सचिव गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी के मुताबिक पहली बार चीनी मिलों के एस्क्रो एकाउंट खोलने और चीनी, शीरा, बगास एंवप्रेसमड (मैली) की बिक्री से मिली धनराशि का 85 फीसदी हिस्सा गन्ना मूल्य भुगतान के लिए देने के निर्देश दिए गए हैं। गन्ना माफिया पर गुंडा एक्ट लगाया जा रहा है।

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घटतौली रोकने के लिए चीनी मिलों के गेट पर रात में औचक निरीक्षण भी कराया जा रहा है। तौल लिपिकों की तैनाती लाटरी सिस्टम से हर 15 दिन में कराई जा रही है। क्रय केंद्रों पर गन्ना आयुक्त का टोल फ्री नंबर 18001213203 भी अंकित कराया जा रहा है। किसान टोल फ्री नंबर पर शिकायत कर सकते हैं।

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