नवजोत यानी पारसी समाज के लिए नववर्ष (Navroze) का आगाज। विभिन्न संस्कृतियों की मोती से पिरोई गई भारतीय संस्कृति की माला में पारसी समाज का भी अहम योगदान रहा है। गुरुवार को सोशल मीडिया पर भी नवजोत के संदर्भ में पारसी समुदाय के लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेज रहे हैं। ऐसे में आज हम हम आपको बताते हैं नवरोज के बारे में कुछ रोचक तथ्य…
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धर्म के तहत प्रार्थना करने की दी जाती है सीख
- नवरोज के दिन से ही पारसी समुदाय में जन्मे बच्चों को उनके धर्म के तहत प्रार्थना करने व धर्म का अनुपालन करने की सीख दी जाती है।
- इसके तहत सिर्फ वही बच्चे इस अनुपालन सीख में भाग ले सकते हैं जिनकी आयु सात वर्ष हो चुकी होती है।
- नवरोज के दिन बच्चों को पहली बार सुद्रेह-क्रुस्ती का परिधान पहनाया जाता है।
- यह परिधान पारसी समाज की पहचान है।
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- हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि सुद्रेह-क्रुस्ती का परिधान नवजोत के बाद बच्चे को हर रोज पहनना अनिवार्य है।
- नवरोज के दिन सात वर्ष की आयु पूरी कर चुके बच्चों को उनके पारसी माता-पिता उनके धार्मिक दायित्वों का पाठ पढ़ाते हैं।
- बता दें कि सात से 11 वर्ष की आयु के बीच में पारसी समुदाय के बच्चों को धार्मिक दायित्वों का पाठ पढ़ाया जाता है।
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- इरान की धार्मिक पुस्तकों में भी नवरोज के बारे में विस्तार में वर्णन किया गया है।
- यही नहीं पहले नवरोज की खुशियां लोग दिन के उजाले में ही मनाते थे।
- मगर अब समय बदलने के साथ ही पारसी समुदाय के लोग इस दिन शाम को भी सेलिब्रेशन करते हैं।
- इस दिन धार्मिक सीख पाने वाले बच्चे को एक छोटे से स्टूल पर बैठाया जाता है जबकि ठीक उनके सामने उनके पादरी बैठते हैं।
- बच्चे का (Navroze) मुंह पूरब दिशा में होता है।
- फिर उन्हें धार्मिक दायित्वों के बारे में बताया जाता है।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.