वैसे तो सरकारी अस्पतालों में दवाओं का अभाव कोई नयी बात नहीं है। लेकिन, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के दावों के बावजूद सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी की बात सामने आयी है।राजधानी के सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं समेत सामान्य दवाएं भी मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं।राजधानी में स्वाइन पफलू और डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण स्वास्थ्य मंत्री ने आदेश दिया था कि मरीजों को सभी दवाएं मिलनी चाहिए।

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महिला अस्पताल में भी टोटा

  • इस बीमारी के मौसम में भी सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
  • खास बात तो यह है कि मरीजों को ओपीडी में जो दवाएं पर्चें पर लिखी जा रही हैं वो भी अस्पताल में नहीं है।
  • ऐसे में मरीजों को अपनी जेब खाली करनी पड़ रही है जो कि कुछ मरीजों के लिए किसी आफत से कम नहीं है।
  • राजधानी का सिविल अस्पताल हो या फिर कोई महिला अस्पताल दवाओं का टोटा हर जगह है।
  • राजधानी में कुल नौ बाल महिला चिकित्सालय हैं।यहां पर भी मरीजों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
  • वहीं इसके साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों को भी दवाएं नहीं मिल रही हैं।
  • इन अस्पतालों का हाल ऐसा है कि यहां यहां पर न तो पूरी दवाएं हैं और न ही इंजेक्शन।

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केजीएमयू में भी दवाओं की कमी

  • छोटे अस्पतालों के अलावा केजीएमयू में भी 40 प्रतिशत दवाओं का अभाव है।
  • जानकारी के मुताबिक दर्द निवारक दवाओं डेसिंग, एंटीबायटिक, रुई और सीरिंज तक का यहां अभाव है।
  • वहीं दूसरी ओर सर्जिकल उपकरणों का अभाव भी मरीजों के लिए मुसीबत बना हुआ है।
  • इसके साथ ही जिला अस्पताल बलरामपुर में भी मरीजों को पूरी दवाए नहीं मिल पा रहीं हैं।
  • यहाँ तो डॉक्टर खुद ही अस्पताल में जो दवायें उपलब्ध नहीं हैं उन्हें पर्चे के पीछे लिख रहे हैं।

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