गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 32 बच्चों सहित करीब 50 लोगों की मौत से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। मृत मरीजों के घरों में कोहराम (patients Family) है तो अस्पताल में आलम यह है कि तीमारदार मरीजों को बचाने के लिए डाक्टरों के ही नहीं बल्कि पुलिस के पैर पकड़कर गुहार लगा रहे हैं। मरीजों के परिवारवाले जो मिलता है उसके पैर पकड़कर रोने लग रहे हैं।

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क्या है पूरा मामला?

  • बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) में ऑक्सीजन ना मिलने से 32 बच्चों सहित 50 लोगों की मौत हो गई।
  • बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में मृतक मरीजों का विवरण इस प्रकार है।
  • 7 अगस्त को एनआईसीयू में 4, एईएस से 2 और नॉन एईएस से 3 मरीजों की मौत हुई।
  • 8 अगस्त को एनआईसीयू में 7, एईएस से 3 और नॉन एईएस से 2 मरीजों की मौत हुई।
  • 9 अगस्त को एनआईसीयू में 6, एईएस से 2 और नॉन एईएस से 1 मरीज की मौत हुई।
  • 10 अगस्त को एनआईसीयू में 14 , एईएस से 3 और नॉन एईएस से 6 मरीजों की मौत हुई।
  • 11 अगस्त को एनआईसीयू में 3, एईएस से 2 और नॉन एईएस से 2 मरीजों की मौत हुई।

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  • इस प्रकार ऑक्सीजन की कमी के चलते बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में 30 मासूमों की भेंट चढ़ गए।
  • जिस पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है।

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गोरखपुर कांड पर राजनीति शुरू

  • फिलहाल गोरखपुर कांड पर राजनीति शुरू हो गई है।
  • विपक्षी पार्टियों के नेता गोरखपुर पहुंचे हैं।
  • ये नेता वर्तमान सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे।
  • ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली संस्था की ओर से 63 लाख रुपये बकाये को लेकर बीआरडी प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया।

BRD मेडिकल कॉलेज में मरने वाले 30 बच्चों की संख्या घटकर 7 हुई!

  • जिसके बाद भी प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं की गयी।
  • जिसके बाद भी संस्था की ओर से रोगियों के हितों को ध्यान हुए 4 से 5 दिन और ऑक्सीजन की सप्लाई की गयी।
  • लेकिन इसके बावजूद भी बकाये का भुगतान न होने पर ऑक्सीजन सप्लाई आखिरकार बाधित हो गयी।
  • जिसके (patients Family) बाद दर्जनों मासूम मौत के मुंह में समा गए।

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