उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सिंगरामऊ क्षेत्र के मेढ़ा बाजार में एक लाख रूपए की लागत से बाँस बल्ली की कमाचियो पर सजाए गए 15 फिट ऊंचा ताजिया को रंग-बिरंगे कागज, पन्नी, कांच, सलाखा, झूमर, सिलवर कटोरी आदि को लगाकर छः महीने में मोहम्मद नियाज और मोहम्मद जलील के द्वारा तैयार किया गया बिशाल ताजिया को देखने के लिए हर कोई उत्सुक था।

  • यहां उसे देखने के लिए लोग दूर दराज से पहुंचे लोगों की भीड़ लगी रही हर किसी के जुबान पर मेंढ़ा बाजार का ही ताजिए की वाहवाही लूटते रहे।
  • वहीं मोहम्मद नियाज़ और मजीद की मानें तो लोग हजरत इमाम हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में यादगार के लिए हर वर्ष ताजिया बनाया जाता है।
  • मुस्लिम भाइयों को ताजियादारी बहुत ही शान से होती है जिसके आगे बैठकर लोग मातम करते हैं व मर्सिया पढ़ते हैं।
  • जलूस के दौरान लोग मातमी जुलूस निकाल कर छप्पन छूडी का खूनी खेल खेलते हैं।
  • यहां क्षेत्र के हिन्दू भी इस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया व ताजिया को मिट्टी दिए।
  • कल्लू,मजीद,अकबर इकरार द्वारा और तीन छोटा बड़ा ताजिया बनाकर जिसे देर शाम तक लोगों द्वारा खुटहन थाना क्षेत्र के गजेन्द्रपुर गांव स्थित कर्बला पर क्षेत्र के खोदाईगंज,लखनेपुर,दुधौडा,मेंढ़ा बाजार का ताजिया सुपुर्द ए खाक किया गया।

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