उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले से हो कर गुजरने वाला कानपुर - सागर नेशनल हाइवे-86 खूनी हाइवे बन कर रह गया है, जिसने अब तक हज़ारो लोगो की जान ले ली है। इस हाइवे में हर रोज 5 से 10 सड़क दुर्घटनाएं होती है और लोगों की जान जाती रहती है.

रोज़ रोज़ होने वाले सड़क हादसों से नाराज़ लोगो ने अब उग्र आंदोलन शुरू कर इस खूनी सड़क को 4 लेन करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने जगह जगह पोस्टर चिपका दिए है कि ” सड़क नहीं तो वोट नहीं “ .

हमीरपुर का खूनी हाइवे 86 जो कानपुर से हमीरपुर, महोबा ज़िलों से हो कर सागर ( MP )तक जाता है। इस हाइवे में हर रोज दर्जनों सड़क हादसों में लोगो की जान जाती रहती है।

इस हाइवे में कितनी भयानक दुर्घटनाएं होती है जरा उनकी बानगी भी देख लीजिये, दो पहिया और चार पहिया वाहनों के उड़े हुए परखच्चो को देख कर कलेजा कांप उठता है.

जब हादसे का शिकार हुए वाहनों की यह हालत है तो उनके सवारों का क्या हाल हुआ होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है ।

इस साल 216 सड़क हादसे हुए दर्ज:

अकेले हमीरपुर ज़िले की सीमा में इस खूनी हाइवे में इस साल अभी तक कुल 216 सड़क दुर्घटना के मुकदमे दर्ज हुए हैं.  जिसमे 122 लोग मरे है और तकरीबन 600 लोग घायल हो कर अपाहिज हो गए है.

यह कहना है हमीरपुर पुलिस का । जब सिर्फ एक जिले में इतने ज्यादा लोग मारे और घायल हुए है तो फिर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कानपुर, महोबा ज़िलों को मिला कर कितने लोग मरे और घायल हुए होंगे.

हर रोज़ होती है दुर्घटना: 

खूनी हाइवे के नाम से मशहूर हो चुके NH 86 में सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गयी है यहां हर रोज दो पहिया और चार पहिया सवारों की जाने जा रही है और इन हादसों की वजह है, इस सड़क से यमदूत बनकर गुजरने वाले ओवर लोड ट्रक।

जी हां इस हाइवे से हर रोज तकरीबन दस हज़ार ट्रक मोरंग और गिट्टी लाद कर गुजरते हैं. यही तेज रफ्तार ट्रक वजह है कि इस खूनी हाइवे में होने वाले हादसों के. जिनकी चीखें लोकसभा में भी गूंज चुकी है पर अभी तक कोई सुधार नही हुआ है ।

इस खूनी हाइवे में सफर करने वाले नही जानते कि वो मंजिल तक पहुंच कर वापस आएंगे या नही. क्योंकि इस खूनी हाइवे में जगह जगह मौत झपट्टा मारने को तैयार रहती है. कब कहां से कोई तेज रफ्तार ट्रक आ कर किसकी जान ले ले यह कोई नही जानता है ।

सड़क के चौड़ीकरण की उठी मांग: 

रोज रोज की सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मौतों से अज़ीज़ आ कर अब युवाओं ने अपनी आवज बुलंद की है और उग्र आंदोलन चला कर इस खूनी हाइवे के खिलाफ पोस्टर युद्ध शुरू कर दिया है.

उनकी मांग है कि जब तक इस नेशनल हाइवे को चौड़ा कर बीच मे डिवाइडर नही बनाया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा । उनका नारा है कि ” सड़क नही तो वोट नही ” 2019 का चुनाव बहिष्कार किया जाएगा ।

2014 में शुरू हुए हाईवे ने 4 सालों में ली हजारों की जान:

2014 में शुरू हुए नेशनल हाइवे 86 ने सिर चार सालों में हजारों लोगों की जान लेली है और कई हज़ार लोग घायल, अपाहिज हो चुके है.

मगर इस सड़क को बनाने वाली संस्था NHAI के कानों में जू तक नही रेंग रही है। लोकसभा से लेकर जिलों, तहसीलों और गाँवों तक इस खूनी सड़क के खिलाफ धरना, प्रदर्शन और आंदोलन चल रहे है मगर हज़ारों लोगो की जान जाने के बाद भी इस खूनी सड़क में ना तो डिवाइडर बनाया गया है और ना उसे चौड़ा कर फोर लेन किया गया है.

बावजूद इसके इस खूनी रोड़ में कानपुर और महोबा जिलो की सीमा में स्थापित टोल प्लाजा से एक करोड़ रुपया रोज टोलटैक्स वसूल कर सड़क बनाने वाली कंपनी मालामाल हो रही है

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