वैसे तो ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का पर्व 25 दिसम्बर को मानते हैं। लेकिन इसकी धूम अभी से चर्चों में देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित कैथेड्रिल चर्च अभी से सतरंगी रौशनी में नहाया हुआ है। इस चर्च के सामने से जो कोई निकलता है देखते ही रह जाता है। बता दें कि क्रिसमस नजदीक आते ही सभी चर्चों में कार्यक्रम शुरू हो गए हैं। मंगलवार की रात को कैथेड्रिल चर्च में प्रभु की प्रार्थना की गई। क्रिसमस पर्व पर प्रभु ईसा मसीह यीशु की याद में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। इस दौरान कई प्रकार के कार्यक्रम होते हैं। क्रिसमस पर सांता क्लॉस बच्चों को उपहार देता है। चर्च में इस पर्व पर ‘जिंगलबेल जिंगल बेल जिंगल आल वे’ गाना भी गया जाता है।

देखिये चर्च की एक्सक्लूसिव तस्वीरें:

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कौन हैं ईसा या यीशु मसीह?

  • ईसाई धर्म के लोग ईसा या यीशु मसीह या जीज़स क्राइस्ट, उन्हें परमपिता का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तीसरा सदस्य मानते हैं।
  • ईसा इस्लाम के अज़ीम तरीन पैगम्बरों में से एक माना जाता है ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
  • बाइबिल के अनुसार ईसा की माता मरियम गलीलिया प्रांत के नाज़रेथ गांव की रहने वाली थीं।
  • उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ नामक बढ़ई से हुई थी।
  • विवाह के पहले ही वह कुंवारी रहते हुए ही ईश्वरीय प्रभाव से गर्भवती हो गईं।
  • ईश्वर की ओर से संकेत पाकर यूसुफ ने उन्हें पत्नीस्वरूप ग्रहण किया।
  • इस प्रकार जनता ईसा की अलौकिक उत्पत्ति से अनभिज्ञ रही।
  • विवाह संपन्न होने के बाद यूसुफ गलीलिया छोड़कर यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक नगरी में जाकर रहने लगे, वहां ईसा का जन्म हुआ था।
  • ईसा जब बारह वर्ष के हुए, तो यरुशलम में तीन दिन रुककर मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उन की सुनते और उन से प्रश्न करते हुए पाया।
  • तब ईसा उसका माता पिता के सात अपना गांव वापिस लौट गए।
  • ईसा ने यूसुफ का पेशा सीख लिया और लगभग 30 साल की उम्र तक उसी गांव में रहकर वे बढ़ई का काम करते रहे।
  • बाइबिल (इंजील) में उनके 13 से 29 वर्षों के बीच का कोई ‍ज़िक्र नहीं मिलता।
  • 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने यूहन्ना (जॉन) से पानी में डुबकी (दीक्षा) ली। डुबकी के बाद ईसा पर पवित्र आत्मा आया।
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