प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में मंडुआडीह रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर दुल्हन की तरह सजकर खड़ी मंडुआडीह-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस को जैसे ही प्रधानमंत्री ने शाम के 4:48 बजे हरी झंडी दिखाई, मुख्य लोको पायलट मोहम्मद मजहर अब्बास ने अपने सहयोगी अखिलेश कुमार त्रिपाठी के साथ ट्रेन को गति दे दी।

महामना एक्सप्रेस जो की वाराणसी से दिल्ली के बीच चलती है के तर्ज पर इसमें तस्वीरों के माध्यम से भारत की संस्कृति के दर्शन कराये जायेंगे। इसमें मेघालय के खासी नृत्य से लेकर राजस्थान की पारम्परिक कलाकृतियों को जगह दी गयी है। ये इस ट्रेन में कई खूबियां हैं। मंडुआडीह पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन यहां से रोजाना चलेगी। यह ट्रेन मंडुआडीह से सुबह 6:15 बजे रोज़ाना रवाना होगी और 4:31 मिनट की यात्रा कर 10:35 बजे पटना पहुंच जाएगी। उसी दिन शाम में पटना से चलकर ये रात में वापस मंडुआडीह पहुंच जाएगी।

पुराने डिब्बों से बने हैं ट्रेन के कोच

ट्रेन के सभी 11 चेयरकार और दो जनरल कोच पुराने डिब्बों की मरम्मत कर बनाए गए हैं। सभी कोच भोपाल स्थित सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाने से निर्मित हैं। ये सभी डिब्बे भोपाल स्थित सवारी डिब्बा पुननिर्माण कारखाने में निर्मित है। इसकी एक मात्र एसी चेयरकार बोगी भी पुरानी है। चेयरकार की हर सीट के सामने दूसरी सीट से लगी एक टेबलनुमा प्लेट लगी है।

महामना एक्सप्रेस की ही तरह बायो टायलेट की व्यवस्था

ट्रेन में महामना एक्सप्रेस की ही तरह बायो टायलेट की व्यवस्था की गयी है। इससे पटरियों पर मल मूत्र नहीं गिरेगा। इसके अलावा सभी बोगियों में डस्टबिन और अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था की गयी है। सभी कोच में एलईडी डिस्प्ले है। इसके जरिये ट्रेन कहां पहुंची, कौन सा स्टॉपेज है, यह जान सकेंगे। इसके अलावा टॉयलेट खाली न रहने पर इसके ऊपर रेड सिग्नल का सिंबल दिखेगा। खाली रहने पर ग्रीन सिग्नल होगा। हर जनरल चेयरकार कोच में 108 सीटें हैं। एसी चेयरकार में 73 सीटें हैं, सभी बोगियों में 18 स्विच हैं।

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