एक कहावत आप ने तो सुनी होगी कि ‘पुलिस किसी की सगी नहीं, रस्सी का सांप बनाने में माहिर होती है पुलिस’ ये कहावत यूपी की बरेली पुलिस पर सटीक बैठती है। वाहवाही लूटने के लिए योगी की पुलिस इन दिनों काफी चर्चा में है कभी फर्जी एनकाउंटर, कभी किसी बेगुनाह को जेल भेजने तो कभी मुठभेड़ से पहले ही अपराधियों से डील के मामले में इस समय पुलिस काफी चर्चा में है।

आर्थिक तंगी से बच्चों की पढ़ाई छूटी

पुलिस के इन कारनामों से योगी सरकार की भी जमकर किरकिरी हो रही है। लगातार सरकार विपक्ष के निशाने पर है। ताजा मामला स्मार्ट सिटी बरेली का है जहाँ पुलिस ने लूट और डकैती के आरोप में एक बेगुनाह को जेल भेज दिया। आठ महीने से एक बेगुनाह में जेल में बंद होने की वजह से उसके घर की आर्थिक स्थति बिगड़ गई है और बच्चो की पढ़ाई भी छूट गई है। इस मामले की जानकारी जब मीडिया को हुई तो हमारे बरेली संवाददाता दीपक शर्मा ने इस मामले में पूरी पड़ताल की जिसमें पुलिस की पोल खुल गई। अब इस घटना के बाद पुलिस को सोशल मीडिया पर भी खूब किरकिरी हो रही है।

8 महीने से इंसाफ के लिए चक्कर काट रही पत्नी और बच्चे

एसएसपी ऑफिस में आप बीती बताती ये शशि है। शशि के पति मनोज कुमार को आठ महीने पहले इज्जतनगर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। बाद में जाँच में पता चला जिस मनोज कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा है वो बेगुनाह है जबकि असली मनोज कश्यप खुले आसमान में घूम रहा है। ये बात पुलिस को तब पता चली जब जेल में बंद मनोज कश्यप के गैंग के अन्य साथिओ ने बेगुनाह मनोज को जेल में पहचानने से इंकार कर दिया।

जब पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार कियाथा तब उस वक्त भी मनोज और उसका परिवार पुलिस को बताता रहा की उसका कोई कसूर नहीं है। परिवार वाले पुलिस वालो के सामने गिड़गिड़ाते रहे लेकिन पुलिस वालो ने उनकी एक न सुनी। आठ महीने से मनोज की पत्नी अपने तीन मासूम बच्चो को लेकर पुलिस अफसरों के चक्कर लगा रही है और इंसाफ की मांग कर रही है।

फीस न जमा होने से तीनों बच्चों का स्कूल ने नाम काटा

शशि का कहना है की उसका पति हलवाई की दुकान पर काम करता था। उससे जो सेलरी मिलती थी उससे उसका परिवार चलता था। लेकिन आठ महीने से लूट और डकैती के मामले में जेल में बंद होने की वजह से उसके घर की आर्थिक स्थति बिगड़ गई है। उसके तीन बच्चे स्कूल जाते थे लेकिन फीस जमा नहीं होने की वजह से उनका स्कूल से नाम काट दिया गया है। अब गरीब और लाचार शशि के परेशां है लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।

एडीजी ने बेगुनाह को जेल से छुड़वाने के दिए निर्देश

वहीं इस मामले में जब मीडिया ने एडीजी को जानकारी दी तब उन्हें इस मामले का पता चला। एडीजी प्रेम प्रकाश का कहना है की मामला गंभीर है उन्होंने इस मामले में सीओ सेकेण्ड निति दिवेदी को तत्काल बेगुनाह मनोज को जेल से छुटवाने के निर्देश दिए। एडीजी ने बताया की इस मामले की जाँच करवाई जाएगी और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उनका कहना है की किसी बेगुनाह को जेल भेजना गलत है।

क्या दोषी पुलिसकर्मी भेजे जायेंगे जेल?

भले मीडिया में मामला आने के बाद मनोज आठ महीने बाद जेल से रिहा हो जायेगा। लेकिन उसने जो गुनाह किया ही नहीं उसकी सज़ा काटनी पड़ी है और आठ महीने तक सलाखों के पीछे बिताने पड़े है। क्या उसके वो दिन कोई वापिस लौटा सकेगा। इन आठ महीने में उसके परिवार ने जो दर्द सहा है उसका अंदाजा तो पुलिस को नहीं होगा। फिलहाल मनोज को जब इंसाफ मिलेगा जब दोषी पुलिसकर्मियों को भी जेल जाना पड़े।

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