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मेरठ: खुले आम बिक रही पॉलिथीन, केवल छोटे दुकानदारों पर दबाव

भारत को स्वच्छ बनाने की चल रही मुहिम की श्रेणी में उत्तर प्रदेश सरकार ने पॉलिथीन पूर्णतः बंद करने और पर्यावरण बचाने की जो पहल शुरू की, वह सराहनीय कदम है। लेकिन इस कदम को कितनी गम्भीरता से लोग ले रहे है और ये प्रतिबंधन कितनी सफलता से लागू हुआ है ये बड़ा सवाल है. वहीं सवाल ये भी उठता है आखिर किन-किन श्रेणियों की पॉलिथीन पर प्रतिबंध् है?

नहीं हो रही पॉलिथीन बेचने वालों पर क़ानूनी कार्रवाई:

उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 दिन पहले पॉलिथीन का उपयोग न करने की एक पहल छेड़ दी है। मगर सीएम की इस मुहिम का असर अभी साफ़ दिखाई नहीं दे रहा है।
स्कूल-कालेजों तथा सार्वजनिक स्थानों पर प्रशासनिक अधिकारी कार्यक्रमों में शपथ दिलाने, जनता को जागरूक करने के लिये छात्रा छात्राओं व समाजसेवियों के सहयोग से रैलियां निकालने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
मुख्यमंत्री के फरमान के मुताबिक प्रशासनिक अधिकारियों को पॉलिथीन प्रयोग करने वालों पर कानूनी कार्रवाई के साथ जुर्माना लगाने के आदेश है लेकिन अभी तक प्रशासन ने किसी भी दुकानदार पर पॉलिथीन बेचने के आरोप में कानूनी कार्रवाई करना मुनासीब नहीं समझा और न ही इस तरह का कोई मामला प्रकाश में आया।

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छोटी दुकानों पर ही हो रही जांच:

बता दें कि मेरठ शहर के कुछ बड़े बाजारों में नामचीन दुकानदारों ने एक स्लोगन अपनी दुकान पर चस्पा किया. जिस पर लिखा है, ग्राहक स्वयं अपने साथ थैला लाए। पॉलिथीन प्रतिबंद है।
वहीं छोटे दुकानदार ग्राहक को दुकान से जाता देख स्वयं ही आवाज लगाकर पॉलिथीन में सामान डालकर दे रहे हैं. सीएम के इस फरमान के बाद जिला प्रशासनिक अधिकारी भी शहर में घूम घूमकर सड़कों के किनारे सब्जी, फल बेचने वालों के पास जा कर जांच कर पन्नियाँ जब्त कर रहे हैं लेकिन किसी बड़ी दूकान पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

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लोगों ने ब्रांडेड उत्पाद की पॉलिथीन पर भी प्रतिबंध की उठाई मांग:

शहरवासियों ने खा कि यूपी से पॉलिथीन बंद कराने की जो मुहिम सरकार ने शुरू की है, उस मुहीम में मल्टीनेशनल कंपनी के बने प्रोडेकट जैसे कुरकुरे, चिप्स, बिस्कुट, दही, दूध, ब्रेड आदि में इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन पर भी प्रतिबंध लगे.  इन खाद्य सामग्री को बिना पॉलिथीन के बेचा जाए।
वहीं सवाल उठाया कि इन्हे सरकार से मान्यता क्यों मिल गई हैं। क्या यह पहल सिर्फ और सिर्फ गरीब व छोटे छोटे दुकानदारों के लिये शुरू की गई?
क्या प्रदेश सरकार ने पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्रियों के उद्योगपतियों से इसमे में सहयोग करने पर विचार विमर्श नहीं किया? या फिर  कुछ ओर।

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जिम्मेदारों के बयान:

जब इस संबंध् में भाजपा के मेरठ हापुड़ लोकसभा सांसद राजेंद्र अग्रवाल से जानकारी जुटाना चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, वहीं नगर आयुक्त का फोन कवरेज क्षेत्र से बाहर मिला ।
वहीं मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इस तरह की पहल चलाकर बड़ी बड़ी कंपनियों से खुली वसूली की जा रही है। निचले तबके के दुकानदारों, व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है।
इस मामले में एडीएम मेरठ मुकेश चंद्र से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं अपने किसी कार्य में व्यस्त हूं, आप नगर आयुक्त से पूरे मामले की जानकारी लें।

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